मुंबई: महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. दरअसल बीते कुछ दिनों से सत्तारूढ़ एमवीए गठबंधन में शामिल दलों के नेता खुलकर ‘असंतोष’ की भावना व्यक्त कर रहे है. ताजा घटनाक्रम में महाराष्ट्र कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय (Vishwabandhu Rai) ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि वर्तमान एमवीए सरकार में कांग्रेस के मंत्रियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है. इससे पहले कुछ इसी तरह का आरोप शिवसेना के एक कद्दावर नेता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस पर लगाया था. नारायण राणे का बंगला गिराने का आदेश वापस लिया गया: महाराष्ट्र सरकार
जानकारी के अनुसार, एमवीए गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुधवार को चिट्ठी लिखकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) लागू करने की मांग की है. पत्र में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कोरोना वायरस महामारी के कारण न्यूनतम साझा कार्यक्रम को ठीक से लागू नहीं किया जा सका है. उन्होंने कहा, “अब जबकि महामारी की तीव्रता कम हो गई है, तो न्यूनतम साझा कार्यक्रम लागू किया जाना चाहिए. दलितों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए योजनाएं बनानी चाहिए और लागू की जानी चाहिए.”
पटोले ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि जब कांग्रेस एमवीए का हिस्सा बनने के लिए सहमत हुई थी तब "यह तय किया गया था कि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर चलेगी."
Maharashtra Congress leader Vishwabandhu Rai writes to the party's interim president Sonia Gandhi alleging that the Congress ministers, leaders and workers are being neglected in the present MVA dispensation.
— ANI (@ANI) March 31, 2022
इससे पहले शिवसेना विधायक और पूर्व मंत्री तानाजी सावंत (Tanaji Sawant) ने एनसीपी और कांग्रेस Congress पर हमला बोला है. महाराष्ट्र के सोलापुर (Solapur) में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तानाजी ने कहा कि शिवसेना के सभी वरिष्ठ नेताओं के बीच एक आम राय है कि पार्टी को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में दोयम बर्ताव का सामना करना पड़ रहा है, जो कि हाल ही में पेश हुए राज्य सरकार के बजट में भी नजर आ रहा है.
उस्मानाबाद (Osmanabad) जिले के शिवसेना विधायक तानाजी सावंत ने कहा कि यह शिवसेना की वजह से ही एनसीपी और कांग्रेस महाराष्ट्र की सत्ता में काबिज हुई है. और अब वे ही हमारे साथ अन्याय कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि एनसीपी के नेतृत्व वाले विभागों को कुल बजट का 57 से 60 फीसदी हिस्सा दिया गया. जबकि शिवसेना की हिस्सेदारी सिर्फ 16 प्रतिशत की है.
महाराष्ट्र में इन राजनीतिक घटनाक्रमों से एमवीए सरकार में बेचैनी का साफ संकेत मिल रहा है. उधर, बीजेपी भी सत्ता में वापसी के लिए सारे गुणा-गणित कर रही है, जिस वजह से पहले से ही एमवीए हलकों में भौंहें चढ़ीं हुई है. एमवीए के तहत 28 नवंबर 2019 को शिवसेना की अगुवाई में महाराष्ट्र सरकार गठित की गई थी जिसमें एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं.