शिवराज सिंह चौहान से मध्य प्रदेश में आया ‘जन’ राज, ऐसे लिखी जा रही सुशासन और विकास की नई गाथा
बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान लगभग डेढ़ दशक से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. इस दौरान उन्होंने कई ऐसी योजनाओं को जमीन पर उतारा है जिसनें उन्हें नई पहचान दी है. उदाहरण के तौर पर लाडली लक्ष्मी योजना (2007 से लागू है), कन्यादान विवाह योजना (2006 से लागू है) ऐसी योजनाएं रही है जिसके बल पर वे एमपी की जनता के चहेते नेता बन गए तो वही 2018 में शुरू हुई संबल योजना ने उन्हें गरीबों के और निकट पहुंचा दिया है.
भोपाल: बीजेपी (BJP) के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) लगभग डेढ़ दशक से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री हैं. इस दौरान उन्होंने कई ऐसी योजनाओं को जमीन पर उतारा है जिसनें उन्हें नई पहचान दी है. उदाहरण के तौर पर लाडली लक्ष्मी योजना (2007 से लागू है), कन्यादान विवाह योजना (2006 से लागू है) ऐसी योजनाएं रही है जिसके बल पर वे एमपी की जनता के चहेते नेता बन गए तो वही 2018 में शुरू हुई संबल योजना ने उन्हें गरीबों के और निकट पहुंचा दिया है. आज सीएम शिवराज सिंह चौहान की जनहितैषी योजनाओं ने किसानों, युवाओं, महिलाओं को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है. तो आईये हम शिवराज सरकार के कुछ हालिया फैसलों के बारें में जानते है, जो आने वाले समय में राज्य की जनता की तक़दीर विकास के कलम से लिखेगी. मध्य प्रदेश में साढ़े छह लाख मास्क का वितरण
लाखों किसानों को सूखे से निजात
केंद्र सरकार के आम बजट में सूखा की समस्या से जूझते बुंदेलखंड की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा नदी जोड़ो लिंक परियोजना के लिए राशि का प्रावधान किया, जो लाखों किसानों के लिए बहुत बड़ी सौगात है. इस परियोजना का श्रेय कहीं न कहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी जाता है. इतने लंबे समय से सीएम रहते हुए उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना को हरी झंडी दिलाने की खूब कोशिशें की. हाल ही में शिवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना स्वीकृत किए जाने पर मध्य प्रदेश की जनता की ओर से हृदय से धन्यवाद दिया.
बुंदेलखंड वह इलाका है जिसकी पहचान सूखा, पलायन और गरीबी के कारण है, इन सभी समस्याओं का मूल कारण जलाभाव है. यहां की स्थिति बदलने के लिए तमाम दलों की सरकारों ने कदम बढ़ाए मगर हालात नहीं सुधरे. नदी जोड़ने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संजोया था.
बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की उपलब्धता अब खुशहाली आएगी. इस परियोजना के चलते आठ लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे को सिंचाई की सुविधा मिलेगी. अनुमान है कि केन और बेतवा नदियों को जोड़कर जो बांध बनेंगे, उससे लगभग 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 50 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा.
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न पहल
मध्य प्रदेश की सरकार महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त और उन्नत बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों के खाते में 300 करोड़ रुपये के कर्ज की राशि भेजी गई. एक दिन पहले ही राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि काम करने की तड़प हो तो बहनें चमत्कार कर सकती हैं. माता, बहन, बेटियां अभाव और गरीबी में रहने तथा ताने सुनने के लिए पैदा नहीं हुई हैं. मां, बहन, बेटी के सशक्तीकरण के लिए काम करना मेरे जीवन का मिशन है, यह मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
मुख्यमंत्री चौहान ने महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है. जबकि महिलाओं के लिए संविदा शाला शिक्षक के 50 प्रतिशत पद पर तथा पुलिस की नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है. आजीविका मिशन में जुड़ी प्रत्येक महिला की न्यूनतम दस हजार रुपये प्रतिमाह आय हो, इस दिशा में राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है. साथ ही बैंकों से सहज और सरल रूप से महिलाओं को ऋण दिलाने का काम भी शिवराज सरकार कर रही है. मध्य प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में स्व सहायता समूहों द्वारा 'दीदी कैफे' का संचालन किया जा रहा हैं, जो अब सरकारी इमारतों में भी शुरु किये जा रहे है.
मध्य प्रदेश में घरेलू हिंसा पीड़ित बालिकाओं और महिलाओं को सहायता देने का निर्णय भी राज्य सरकार ने लिया है. इससे जुडी एक योजना को बीते महीने मंजूरी दी गई. योजना में घरेलू हिंसा से पीड़िता के शरीर के किसी भी अंग में 40 प्रतिशत से कम दिव्यांगता होने पर 2 लाख और 40 प्रतिशत से अधिक क्षति होने के कारण हुई दिव्यांगता के लिए 4 लाख रुपये की सहायता देने का प्रावधान रखा गया है. साथ ही पीड़ित महिला को न्याय दिलाने का भी इंतजाम किया जाएगा.
युवाओ को रोजगार
मध्य प्रदेश में विवेकानंद जयंती से ही युवाओं को रोजगार से जोड़ने के अभियान का आगाज हो चुका है. राज्य में पांच लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया कि आगामी एक साल में एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगीं. उन्होंने दावा किया कि पिछले एक साल में सरकारी नौकरियों में 44 हजार भर्तियां की गयीं. मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि सभी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती इसलिए अन्य के लिए निजी क्षेत्र में नौकरी दिलाने के प्रयास होंगे.
सरकारी और निजी क्षेत्र में अवसर मुहैया कराने के वादों के साथ मुख्यमंत्री स्टार्ट अप पर भी जोर दे रहे है. इसके तहत स्टार्टअप के लिये प्रदेश में अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जा रहा है, वित्तीय मदद तथा अन्य सुविधाएँ मुहैया करायी जा रहीं है. उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे आगे आकर अधिक से अधिक स्टार्ट-अप प्रारंभ करें. उन्होंने इंदौर को स्टार्टअप कैपिटल बनाने का लक्ष्य रखा है. साथ ही इंदौर को आईटी हब बनाने की दिशा में भी तेजी से चर्चा चल रही है.
विकास का नया मॉडल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के हर जिले को एक नई पहचान दिलाने की दिशा में कदम बढाया है. इंदौर को स्वच्छता के मामले में देश में पहचान मिली है, अब राज्य के अन्य जिलों को भी इस दिशा में प्रेरित करने के लिए ओवर ऑल रैंकिंग दिए जाने की तैयारी है. अपने इस मकसद से सीएम ने कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस में हर जिले को अलग पहचान दिलाने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया है. राज्य सरकार चाहती है कि जैसे इंदौर को स्वच्छता के मामले में देश में नई पहचान मिली है, ठीक इसी तरह अन्य जिलों को पहचान मिले. अधिकारीयों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए गए है. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि कलेक्टर रोजगार के लिए इनोवेटिव प्रयास करें. योजनाओं में शत-प्रतिशत टारगेट पूरा करें. कलेक्टर अपने-अपने जिले में रणनीति बनाकर कार्य करें। साथ ही सरकार की विश्वसनीयता और स्वच्छ छवि बनाने के लिए कार्य करें. योजनाओं का क्रियान्वयन ढंग से हो और संवेदनशीलता से कार्य पूर्ण किये जाएं.
राज्य में आंगनवाड़ी केंद्रों केा और बेहतर बनाने के लिए सरकार ने आओ एक आंगनबाड़ी गोद लें कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस जनांदोलन बनाने के प्रयास हो रहे है. अभी 55 हजार लोगों ने आंगनबाड़ी गोद लिया है. प्रदेश में 97 हजार 135 आंगनबाड़ी हैं जिन्हें गोद लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है. इसी तरह राज्य सरकार की कोशिश लोगों को बेहतर सुविधा दिलाने के साथ उनकी समस्याओं के निराकरण की दिशा में पहल की है. तमाम प्रशासनिक अमले में कसावट लाने के भी प्रयास किए जा रहे है.
चाइल्ड बजट
शिवराज सरकार आगामी बजट में एक और नवाचार करने जा रही है. मार्च में आने वाले राज्य सरकार के बजट में 'बाल बजट' यानी चाइल्ड बजट भी होगा. इसमें बच्चों से संबंधित विभिन्न विभागों की योजनाओं और उनकी जरूरत के प्रावधानों का जिक्र होगा. यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक सरकारी विभाग अपने संबंधित विभागों में बच्चों की जरूरतों के प्रावधानों को शामिल करे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि बच्चे हमारी आबादी का एक तिहाई हैं और हमारे पूरे भविष्य के लिए हैं. हम उनके लिए एक स्वस्थ और समावेशी दुनिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
पर्यटन पर विशेष जोर
मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिशें भी जारी हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जानते है कि राज्य की इकॉनमी को पर्यटन क्षेत्र बूस्ट कर सकता है. इसलिए उन्होंने पर्यटन की मार्केटिंग पर जोर दे रहे है. कुछ समय पहले मुख्यमंत्री चौहान ने पर्यटन स्थल पचमढ़ी में पर्यटन प्लान का अवलोकन करते हुए कहा था कि होशंगाबाद में पर्यटन की अनंत संभावनाएं मौजूद हैं. अधिकारी पचमढ़ी, तवा, सतपुड़ा आदि पर्यटन स्थल अद्भुत हैं. यहां की प्राकृतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक समृद्धता से दुनिया को रूबरू कराएं. व्यापक स्तर पर इसकी मार्केटिंग की जाए, जिससे होशंगाबाद पर्यटन के क्षेत्र में विश्व पटल पर अपना नाम अंकित करा सके. नर्मदा नदी किनारे बसे शहरों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि मां नर्मदा के किनारे स्थित होशंगाबाद प्रदेश का सबसे प्रमुख शहर हैं. इसे धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाया जाए.
बड़े शहरों को ‘बायपास’ की सौगात
मध्य प्रदेश के पांच बडे नगरों में यातायात का दवाब कम करने के लिए बायपास/रिंगरोड बनाये जाने की योजना है. शिवराज सरकार भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में भारतमाला परियोजना में बायपास, रिंग रोड निर्माण सहित विभिन्न कार्यों के संबंध में विस्तार से योजना बना रही है. इससे शहरों में यातायात का दबाव कम होगा और विकास को गति मिलेगी. इस मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बीच चर्चा भी हुई है.