Madhya Pradesh: ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर दौरे से गरमाई सियासत, कहा- मैं जनता का सेवक हूं, किसी सिंहासन का नहीं
ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान (Photo Credit-PTI)

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दिग्गज बीजेपी (BJP) नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के आने के बाद से सूबे की सियासत गरमा गई है. ताजा राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यसभा सांसद सिंधिया ने अपने कांग्रेस (Congress) के पूर्व सहयोगियों कमलनाथ (Kamal Nath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) पर कड़ा प्रहार बोला है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह जनता के सेवक है और किसी सिंहासन की सेवा करने के लिए राजनीति में नहीं आए है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने और बीजेपी का दामन थामकर राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को पहली बार ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के दौरे पर आए है. इस दौरान एक क्रायक्रम में उन्होंने कहा “हम जनता के सेवक है, किसी कुर्सी के सेवक नहीं. किसी सिंहासन के सेवक नहीं. अगर कुर्सी के सेवक होते अगर सिंहासन के सेवक होते. तो जब मुझे उस समय कहा गया था कि आप उप-मुख्यमंत्री बनिए. अगर कुर्सी की लालच होती मुझे तो (कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी) उप-मुख्यमंत्री का ताज स्वीकार कर लेता. लेकिन मैंने इससे इनकार किया क्योकि मैं जनता था सिंहासन पर बैठे ये जो लोग प्रदेश का क्या कर के दिखाएंगे. मैं उस करतूत का भाग मैं नहीं बनना चाहता था.” कमलनाथ मध्यप्रदेश में बहुत मेहनत कर रहे हैं : दिग्विजय सिंह

सिंधिया के साथ इस प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan), प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे. रविवार शाम को बीजेपी ने दावा किया कि तीन दिनों में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के 14 विधानसभा क्षेत्रों के 35,843 कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता बीजेपी का दामन थाम चुके है. दरअसल पार्टी ने यहां जारी तीन दिवसीय सदस्यता अभियान का आयोजन किया था.

इसके उलट कांग्रेस के वरिष्ठ और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने से ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस पहले से ज्यादा ताकतवर हुई है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा ‘‘राजनीति में यह विश्वसनीयता बहुत जरूरी है, क्योंकि पार्टी ने सिंधिया को सब कुछ दिया. सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने सिंधिया को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया. वे पार्टी छोड़ गए. सिंधिया से ऐसी उम्मीद नहीं थी.’’