लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha election 2019) में सभी पार्टियां जीत के मसकद से मैदान में उतर चुकी हैं. लेकिन इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच में कांटे की टक्कर है. वहीं सियासी पार्टियां एक दूसरे को हारने के लिए साम-दाम-दंड-भेद हर तरीके को अपनाने से नहीं चुक रही है. इसी कड़ी में बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह गुजरात के गांधीनगर (Gandhinagar) सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर रहे हैं. लेकिन उन्हें हराने के लिए अमित शाह (Amit Shah) के खिलाफ शंकर सिंह वाघेला (Shankar Singh Vaghela) को चुनावी समर में उतारना चाहती है.
गुजरात में फिलहाल एनसीपी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है. लेकिन खबरों की माने तो शंकर सिंह वाघेला को गांधीनगर से चुनाव लड़ाने की मांग आलाकमान के सामने रखी गई है. गांधीनगर सीट हमेशा से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन इस बात को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है कि शंकर सिंह वाघेला पहले भी गांधीनगर से सांसद रह चुके हैं. अब एनसीपी का मानना है कि वाघेला से बेहतर उम्मीदवार अमित शाह के सामने कोई और नहीं हो सकता है.
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वैसे शंकर सिंह वाघेला पहले भी कह चुके हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. लेकिन अगर पार्टी की बात मानकर मैदान में उतरते हैं तो इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस और एनसीपी किसी भी तरह से उन्हें रोकना चाहेगी. वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के बीच गुजरात की 26 लोकसभा सीटों के लिए सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई है.
शंकर सिंह वाघेला दबदबा
बता दें कि शंकर सिंह वाघेला को 2017 में राज्यसभा चुनाव के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल को हराने के लिए विधायकों को दल-बदल कराने के प्रयास के कारण कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था. एक समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सक्रिय सदस्य वाघेला 1969 में जनसंघ में शामिल हुए थे जो बाद में अन्य दलों के साथ मिलकर जनता पार्टी बन गई थी और फिर इसमें से भारतीय जनता पार्टी बन गई.
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वाघेला ने 1996 में बीजेपी छोड़ राष्ट्रीय जनता पार्टी (RJP) का गठन किया, गुजरात में सरकार बनाई और कुछ समय के लिए कांग्रेस के समर्थन से गुजरात के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. लेकिन 1995 में गुजरात में बीजेपी के सत्ता में आने और उनके बजाय केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाने के बीजेपी के फैसले के बाद वह पार्टी से अलग हो गए. उन्होंने 2002 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और 2017 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर काम किया. यूपीए सरकार के दौरान वाघेला केंद्रीय कपड़ा मंत्री थे.