नागपुर (Nagpur) लोकसभा सीट पर किसी उम्मीदवार की जीत में दलित (Dalit) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर जीत के लिए तैयारियों में जुटी भाजपा और कांग्रेस भी अगले महीने होने वाले चुनावों में इन समुदायों के वोट हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हैं.नागपुर भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुख्यालय है. इस शहर में दीक्षाभूमि भी है जो नवयान बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्मारक है. भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर ने इसी जगह पर 1956 में अपने हजारों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था. नागपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत छह विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें नागपुर दक्षिण पश्चिम, नागपुर दक्षिण, नागपुर पूर्वी, नागपुर मध्य, नागपुर पश्चिम और नागपुर उत्तर शामिल हैं. नागपुर उत्तर अनुसूचित जाति (SC) श्रेणी के लिए आरक्षित सीट है.
नागपुर में कुल 21,26,574 वोटर हैं जिनमें 10,45,934 महिलाएं हैं. इस सीट पर लोकसभा चुनावों के पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को मतदान होगा. विश्लेषकों का मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन कर चुके दलित, खासकर नवबौद्ध, इस बार किसी अन्य विकल्प पर विचार कर सकते हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर से मौजूदा सांसद हैं. कांग्रेस ने पूर्व भाजपा सांसद नाना पटोले को गडकरी के खिलाफ अपना उम्मीदवार बनाया है. नागपुर लोकसभा क्षेत्र के कई हिस्सों में दलित बौद्धों का अच्छा-खासा प्रभाव है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने बताया, ‘‘इस बार दलितों में भाजपा विरोधी रुझान लग रहा है. हालांकि, यह वोट कांग्रेस-राकांपा गठबंधन, प्रकाश आंबेडकर के वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और मायावती की बसपा के बीच बंट जाएंगे.’’ उन्होंने कहा कि इन वोटों को बंटने से बचाने का एकमात्र उपाय यह है कि वे एक हो जाएं. बहरहाल, नागपुर उत्तरी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मिलिंद माने थोराट के आकलन से असहमत दिखे.
उन्होंने दावा किया, ‘‘गडकरी के पक्ष में दलित बौद्ध वोटों का प्रतिशत इस बार 27 प्रतिशत तक जाएगा जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यह महज तीन-चार प्रतिशत था. सिर्फ विकास कार्यों के कारण ऐसा नहीं होगा, बल्कि आंबेडकरवादियों के साथ भाजपा का संबंध भी एक बड़ा कारण होगा. बौद्धों ने भाजपा पर विश्वास करना शुरू कर दिया है.’’ यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी छोड़ शिवसेना में शामिल हुए राजेंद्र गावित, एंट्री के साथ ही मिला पालघर सीट से टिकट
भाजपा विधायक ने कहा कि गडकरी दीक्षाभूमि को बराबर अहमियत देते हैं. माने ने कहा कि दलित, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक आसानी से गडकरी से संपर्क साध सकते हैं. एक आकलन के मुताबिक, नागपुर क्षेत्र में 50 फीसदी से ज्यादा वोटर ओबीसी हैं. इनमें मुख्यत: कुन्बी और तेली समुदायों के वोटर हैं. शेष करीब 15-20 फीसदी वोटर दलित हैं, जिनमें हिंदू और बौद्ध दोनों हैं. मुस्लिम वोट करीब 12 प्रतिशत है.