लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे गुरुवार को आये और इन नतीजों ने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को मायूस किया. प्रदेश की जनता ने फिर एक बार पीएम मोदी पर भरोसा जताया तो वहीं, गठबंधन का जातीय गणित यहां औंधे मुंह गिर गया. ब्रांड मोदी ने इनके जातीय गणित को ध्वस्त कर दिया. कांग्रेस का तो और भी बुरा हाल हुआ, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी में हर गए. बीजेपी ने सूबे की 80 में से 62 सीटों पर जीत का परचम लहराया. हालांकि, यह 2014 के से 9 कम है. पार्टी की सहयोगी पना दल ने अपने कोटे की मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज की सीटों पर जीत दर्ज की.
इस जीत की सबसे बड़ी बात यह रही कि बीजेपी को जिन 3 सीटों पर उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था वो भी उसने दोबारा जीत ली. बता दें कि यूपी में पिछले साल हुए उपचुनाव पार्टी को गोरखपुर, फूलपुर और कैराना सीटें गांवनी पड़ी थीं. पार्टी ने एक साल के भीतर ये सीटें हासिल कर ली.
2019 चुनावों में बीजेपी की सीट जरुर कम हुई मगर पार्टी का वोट शेयर जरुर बढ़ा है. 2014 में जहां वोट शेयर 42.30 प्रतिशत था वो बढ़कर 49.50 प्रतिशत हो गया है.
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प्रदेश की जनता ने गठबंधन के 40 फीसदी पिछड़ा (OBC) और 21 फीसदी दलित के दम पर जीत हासिल करने के मंसूबो पर पानी फेर दिया. वहीं, बीजेपी ने गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित पर अपना ध्यान केंद्रित कर इनके सभी आकलन को गड़बड़ा दिया. पार्टी ने इन जातीय समूहों को अपनी तरफ खींच कर गणित को बदल दिया.
नतीजों से यह पता चल रहा है कि सपा और बसपा एक-दूसरे को अपने वोट ट्रांसफर करने में सफल नहीं रहीं और दलितों तथा ओबीसी के बीच का तनावपूर्ण सामाजिक समीकरण राजनीति पर भारी पड़ गया.