पटना: राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले को दिल्ली की पॉक्सो अदालत में स्थानांतरित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अपने धुर विरोधी एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जबर्दस्त आलोचना की है.
शीर्ष अदालत बिहार में मुजफ्फरपुर के अलावा 16 आश्रय गृह मामलों के प्रबंधन को लेकर बृहस्पतिवार को राज्य सरकार पर जमकर बरसी और आगाह किया कि उसके सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उसे मुख्य सचिव को तलब करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार सरकार को दो हफ्ते के भीतर मुजफ्फरपुर मामले के सुगम स्थानांतरण के लिए पूर्ण सहयोग देने का भी निर्देश दिया. चारा घोटाले के विभिन्न मामलों में सजा काट रहे प्रसाद ने ट्वीट के जरिए बिहार सरकार को हुई शर्मिंदगी पर अपना पक्ष रखा.
अपने पहले ट्वीट में उन्होंने अपने देहाती भोजपुरी बोली में कहा, “का हो नीतीश, कुछ शरम बचल बा की नहीं.” उनका ट्विटर हैंडल उनके करीबी लोग संभालते हैं. एक अन्य ट्वीट में राजद सुप्रीमो ने कड़वे अंदाज में कहा, “बिहार के बलात्कारियों को संरक्षण देने के आदी, चुप ही रहेंगे. चुप्प.”
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प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव समेत कई विपक्षी नेता इस यौन उत्पीड़न कांड के आरोपियों के खिलाफ लगे इलजामों पर कुमार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते रहे हैं. यह मामला पिछले साल सामने आया था जब मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (Tata Institute of Social Sciences) की सामाजिक ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में रह रही लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न होने की बात बताई गई थी.
पिछले साल मई में इस बाबत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और आश्रय गृह का संचालन करने वाले एनजीओ के मालिक ब्रजेश ठाकुर समेत कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जुलाई में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. शीर्ष अदालत ने हाल ही में सीबीआई को राज्य के ऐसे सभी आश्रय गृहों में यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था.