पंजाब: अमरिंदर सिंह कैबिनेट ने लाया पाकिस्तान की तरह कठोर कानून, ईशनिंदा करने वाले को होगी फांसी
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह और इमरान खान (Photo Credit-Facebook)

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान जाने और वहां के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलने के विवाद से अभी पंजाब कांग्रेस उबरी भी नहीं थी कि सूबे के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान जैसा कानून लाकर विवाद को और हवा दे दी है. कैप्टन अमरिंदर पंजाब में पाकिस्तान की तरह का ईशनिंदा कानून लेकर आए हैं, जिसके तहत धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने पर उम्रकैद की सजा तक मिल सकती है.

जानकारी के अनुसार मंगलवार को पंजाब कैबिनेट ने धार्मिक ग्रंथों का अनादर करने के दोषियों को उम्रकैद की सजा देने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में संशोधनों के प्रस्ताव वाले विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी. इसको पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून की तरह कठोर बताया जा रहा है. यह भी-पूर्व क्रिकेटर सिद्धू और पाकिस्तानी कर्नल का सिर लाने वाले को 5 लाख का इनाम, देखें वायरल VIDEO

हालांकि अमरिंदर सरकार का कहना है कि सरकार राज्य में बेअदबी की घटनाओं पर लगाम लगाने और सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने के लिए यह कानून लेकर आई है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलते और पीओके राष्ट्रपति के साथ बैठने को लेकर निशाने पर आए थे. यह भी पढ़े- भारत के पूर्व खिलाड़ी सहवाग ने सिद्धू को सुनाई खरी-खोटी, कहा-उनके ऐसा करने से देश..

पाकिस्तान जाकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पर सिद्धू की आलोचना होने लगी तो खुद इमरान खान ने आगे आकर उनके समर्थन में दो ट्वीट किए. उन्होंने सिद्धू का शांति का दूत बताते हुए कहा कि भारत में जो लोग उन्हें निशाना बना रहे हैं, वह उपमहाद्वीप में शांति को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब विधानसभा के आगामी सत्र में सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2018 और आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2018 को पेश किया जाएगा. इसके अलावा कैबिनेट ने 14वीं विधानसभा के 12वें सत्र में पारित हो चुके सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2016 और आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2016 को वापस लेने की भी स्वीकृति दे दी.

ज्ञात हो कि पंजाब में हाल के वर्षों में धार्मिक ग्रंथों के अनादर की कुछ घटनाएं घटी हैं और पिछले साल विधानसभा चुनाव में यह चुनावी मुद्दा भी बना था.