नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 21 विपक्षी पार्टियों द्वारा कम से कम 50 फीसदी ईवीएम को उससे जुड़े वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail) की जांच की मांग वाली एक याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है. निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने निर्वाचन आयोग को 25 मार्च को सुनवाई पर अदालत की सहायता के लिए एक अधिकारी प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया.
यह याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा), शरद पवार (एनसीपी), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), शरद यादव (एलजेडी), अरविंद केजरीवाल (आप), अखिलेश यादव (सपा), डेरेक ओ'ब्रायन (टीएमसी) व एम.के.स्टालिन (द्रमुक) द्वारा दायर की गई है.
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याचिका में उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के 50 फीसदी परिणामों का आम चुनावों के परिणाम की घोषणा किए जाने से पहले वीवीपैट के साथ मिलान किया जाना चाहिए या दोबारा जांच की जानी चाहिए.
इससे पहले फरवरी में विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग से लोकसभा चुनाव के दौरान सभी निर्वाचन क्षेत्रों में कम से कम 50 फीसदी ईवीएम की संबंधित वीवीपैट की जांच करने के लिए संपर्क किया था. पार्टियों ने कहा है कि ईवीएम की विश्वसनीयता और पूरी चुनाव प्रक्रिया की शुचिता पर गंभीर संदेह है और निर्वाचन आयोग से अगर पूरे नहीं तो कम से कम 50 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक वोट की पेपर ट्रेल की दोबारा जांच की जाए व मिलाया जाए.