'INDIA’ नहीं बोलाना चाहते तो आप ‘हिन्दू’ शब्द का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते, शशि थरूर का बयान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को उन लोगों पर कटाक्ष किया, जिन्हें ‘इंडिया’ शब्द से दिक्कत है, लेकिन वे खुद को ‘हिंदू’ कहने में सहज हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि ‘इंडिया’ और हिंदू दोनों शब्द एक ही शब्द व्युत्पत्ति से बने हैं, जो सिंधु नदी है.

Shashi Tharoor (Photo Credit: ANI)

बेंगलुरु, 6 अक्टूबर: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को उन लोगों पर कटाक्ष किया, जिन्हें ‘इंडिया’ शब्द से दिक्कत है, लेकिन वे खुद को ‘हिंदू’ कहने में सहज हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि ‘इंडिया’ और हिंदू दोनों शब्द एक ही शब्द व्युत्पत्ति से बने हैं, जो सिंधु नदी है.

अपनी पुस्तक ‘व्हाई आई एम ए हिंदू’ के कन्नड़ संस्करण ‘नानू याके हिंदू’ के विमोचन के दौरान ‘हिंदू’ शब्द की उत्पत्ति पर चर्चा करते हुए, तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा कि दोनों शब्द ‘इंडस’ या सिंधु नदी के पार के लोगों का वर्णन करने के लिए विदेशियों द्वारा दिए गए थे. Raghav Chadha Govt Residence: राघव चड्ढा को बड़ा झटका, खाली करना पड़ेगा सरकारी बंगला, कोर्ट ने दिया आदेश

थरूर की किताब का अंग्रेजी से कन्नड़ में अनुवाद कांग्रेस नेता प्रोफेसर के ई राधाकृष्ण ने किया है. ‘इंडिया बनाम भारत’ बहस के बीच थरूर ने कहा, ‘‘यह बहुत विडंबनापूर्ण है जब मैं सुनता हूं कि सत्तारूढ़ दल के कुछ लोग ‘इंडिया’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि यह प्रामाणिक नहीं है और वही लोग ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ कहकर नारे लगाते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि ‘इंडिया’ और ‘हिन्दू’ एक ही व्युत्पत्ति से बने हैं. यदि आप ‘इंडिया’ का प्रयोग नहीं करना चाहते तो आप ‘हिन्दू’ का भी प्रयोग नहीं कर सकते. ये दोनों एक ही स्रोत, सिंधु नदी से आते हैं.’’

यह ध्यान में रखते हुए कि कुछ हिंदू पूरी तरह से अलग शब्द ‘सनातन धर्म’ को पसंद करते हैं, उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सिर्फ एक नाम है जिसे विदेशियों ने भारत के स्वदेशी धर्म के रूप में देखा था. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सिद्धांतों और परंपराओं की एक विस्तृत श्रृंखला को अपनाता है, जो पुनर्जन्म और जाति व्यवस्था में विश्वास करता है.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि महान संत सबसे पहले दिव्य ब्रह्मा के मूल विचार के साथ आए, जो कि ईश्वर के इस्लामी विचार से काफी मिलता-जुलता था - यानी बिना आकृति वाला, बिना रूप वाला ईश्वर. उन्होंने कहा कि हर कोई ईश्वर की कल्पना किसी भी रूप में करने के लिए स्वतंत्र है.

उन्होंने कहा, “कोई हिंदू पोप नहीं है. कोई हिंदू वेटिकन नहीं है. हिंदू रविवार भी नहीं होता. आप अपने इष्ट देवता की पूजा सप्ताह के अलग-अलग दिनों में कर सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके लिए कौन से दिन निर्धारित हैं.’’

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