केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) सोमवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक (Jammu And Kashmir Quotas) पेश करेंगे. इस बिल में जम्मू कश्मीर आरक्षण 2004 अधिनिम संशोधित किया जाएगा. इस बिल के जरिए अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LoC) के पास रहने वाले लोगों की तरह ही आरक्षण का फायदा मिल सकेगा. इससे कश्मीरी पंडितो काफी फायदा होगा.
28 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट ने 'जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019' को मंजूरी दी थी और इसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी पास कर दिया था. मौजूदा नियम के मुताबिक पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों, नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले किसी भी व्यक्ति को शासकीय फायदा तभी मिल सकता है, जब वह पिछड़े क्षेत्र के रुप में चिह्न्ति जगहों पर 15 वर्षो से रह रहा हो. इससे हजारों विस्थापित कश्मीर पंडितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था क्योंकि 1990 के आसपास कई कश्मीरियों ने आतंकी धमकी की वजह से उन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया था.
इस विधेयक का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अध्यादेश की जगह लेना है. इससे जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी धर्म या जाति के युवा को राज्य सरकार की नौकरियां प्राप्त करना आसान हो जाएगा.
बता दें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय शाह ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने की बात कही थी. साथ ही अपने चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने अनुच्छेद 35A को खत्म करने के अपने इरादे को भी दोहराया था.
गौरतलब है कि 17 जून से शुरू हुआ संसद सत्र 26 जुलाई तक चलेगा जिसमें सरकरा कई बिल पेश कर सकती है. वहीं 5 जुलाई को सरकार की तरफ से बजट पेश किया जाएगा. इससे पहले आर्थिक सर्वेक्षण संसद में चार जुलाई को पेश किया जाएगा.