हिमांता बिस्व सरमा ने 'सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल' पर दिया बड़ा बयान, कहा- असम को कश्मीर नहीं बनने दे सकते
विवादास्पद नागरिकता विधेयक का बचाव करते हुए असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि उसे लागू करना राज्य के लिए अनिवार्य है ताकि वह भविष्य में कश्मीर जैसी स्थिति का सामना न करे.
नई दिल्ली: विवादास्पद नागरिकता विधेयक का बचाव करते हुए असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा (Himanta Biswa Sarma) ने शुक्रवार को कहा कि उसे लागू करना राज्य के लिए अनिवार्य है ताकि वह भविष्य में कश्मीर जैसी स्थिति का सामना न करे. उन्होंने कहा कि नागरिकता (Citizenship) विधेयक न केवल असम (Assam)बल्कि देश के पूरे पूर्वोत्तर हिस्से के लिए एक अवसर हो सकता है. संसद से नागरिकता विधेयक पारित कराने की बीजेपी नीत राजग सरकार के प्रयास को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
इस विधेयक में अफगानिस्तान (Afghanistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और पाकिस्तान (Pakistan) के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और इसाई धर्म के लोगों को भारत में छह साल रहने के बाद उचित दस्तावेज नहीं रहने पर भी नागरिकता देने का प्रावधान है. लोकसभा ने आठ जनवरी को इस विधेयक को पारित किया था लेकिन राज्यसभा में इसे चर्चा के लिए नहीं लिया गया.
बीजेपी नीत पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक शर्मा ने कहा कि असम के लोगों को समझने की जरुरत है कि यह असम विशिष्ट विधेयक नहीं है और इन शरणार्थियों का बोझ पूरा देश मिलकर उठाएगा. वास्तव में यह असम की 17 महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों को बदरुद्दीन अजमल की अगुवाई वाले ऑल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (All India United Democratic Front) के हाथों में जाने से बचाएगा. हमें सभ्यता के संघर्ष को जीतने की जरुरत है क्योंकि जैसा कश्मीर में हुआ वह हम असम में नहीं होने दे सकते.
कांग्रेस पर इस विधेयक को लेकर असम के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की अद्यतन प्रक्रिया के दौरान बाहर छूट गये 40 लाख लोगों में करीब 20 लाख हिंदू हैं. यहां विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (Vivekananda International Foundation) में मासिक विमर्श टॉक शो कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि कई मुस्लिम शरणार्थी भारतीय मुसलमानों के जैसे नाम होने के कारण विरासत दस्तावेज बनाकर एनआरसी में जगह पाने में कामयाब हो गये.
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वर्ष 2015 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए शर्मा ने कहा कि लेकिन हिंदू बंगालियों को ऐसे मौके नहीं मिले. उन्होंने कहा, "व्यक्ति को यह समझना होगा कि क्यों ये हिंदू शरणार्थी भारत आए."
उन्होंने यह भी कहा कि असम संधि के उपबंध छह को संवैधानिक दर्जा देने का नरेंद्र मोदी सरकार का हाल का फैसला असम के लोगों के लिए वरदान है.