गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा में जोरदार बहस जारी है. केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत (Thawar Chand Gehlot) ने लोकसभा में बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि इस विषय पर ऐतिहासिक कदम उठाने की जरूरत थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि SC/ST और OBC आरक्षण के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है. कैबिनेट ने ईसाइयों और मुस्लिमों समेत अनरिजर्वड कटैगरी के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया. इस आरक्षण का फायदा 8 लाख रुपए सालाना आय सीमा और करीब 5 एकड़ भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा.
सदन में जारी बहस के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण के संविधान संशोधन बिल को लेकर कांग्रेस की सभी आपत्तियों को खारिज किया. सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'यह आरक्षण बिल 'सबका साथ, सबका विकास' सुनिश्चित करता है. यह समानता के लिए एक कदम है, सामाजिक उत्थान को सक्षम करेगा.' उन्होंने कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष से कहा कि अगर समर्थन कर रहे हैं तो बड़े दिल से करिए. यह भी पढ़ें- सवर्ण आरक्षण: इन जातियों को मिलेगा नौकरी और शिक्षा में 10% रिजर्वेशन, देखें पूरी लिस्ट
विपक्ष के आरोपों को किया खारिज
अरुण जेटली ने कहा कि विपक्षी दलों के घोषणा पत्र में कई बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण की बात कही गई है जो कि जुमला थी. उन्होंने कहा कि जुमले की शुरुआत हमने नहीं बल्कि विपक्ष ने की थी. हमने आरक्षण की बात अपने घोषणा पत्र में ही कही थी. अरुण जेटली ने कहा कि सभी दलों ने घोषणा पत्र में अनारक्षित आरक्षण की बात कही थी. उन्होंने कहा कि इसके लिए पिछली सरकारों ने सही कोशिशें नहीं की थीं.
वित्त मंत्री ने कहा कि सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन नहीं होता. जेटली ने कहा कि इस बिल में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया है. हर नागरिक को अवसर देने की जरूरत है.
पिछली सरकारों ने नहीं की सही कोशिश
जेटली ने कहा कि कांग्रेस कह रही है कि वो इस बिल से सैद्धांतिक रूप से सहमत है लेकिन सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण के कई बार प्रयास हुए लेकिन उनके प्रयास इस रूप में नहीं थे कि कोर्ट में ठहर पाते. जेटली ने इसके लिए नरसिंहराव सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन व समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा इस हेतु बनाए गए कानूनों का जिक्र करते हुए ये बात कही.
जेटली ने कहा कि नरसिंहराव सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का नोटिफिकेशन निकाला लेकिन उसका कोई प्रावधान संविधान में था ही नहीं. इसलिए न्यायपालिका ने उसे नहीं स्वीकारा.
जेटली ने कहा कि पिछली सरकारों ने सही कोशिशें नहीं कीं. सभी दलों ने घोषणापत्र में अनारक्षित आरक्षण की बात की थी. सवर्ण आरक्षण पर अब तक सही प्रयास नहीं हुए. वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों ने या तो नोटिफिकेशन निकाला या सामान्य कानून बनाया लेकिन उसका अधिकार का सोर्स क्या था. सोर्स था आर्टिकल 15 और 16 लेकिन उसके तहत सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ों को ही आरक्षण दे सकते हैं. जाति इस पिछड़ेपन का पैमाना मानी गई.