जम्मू-कश्मीर: फारुख अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान का किया समर्थन, कहा- हुर्रियत से हो बातचीत
फारूक अब्दुल्ला (Photo Credit: PTI/File)

जम्मू-कश्मीर (Jammu- Kashmir) में हुर्रियत से बातचीत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Governor Satya Pal Malik) के बयान पर कहा कि हुर्रियत से बातचीत होनी चाहिए. उन्होंने आज कहा, ''राज्यपाल (सत्यपाल मलिक) ने कहा है कि हुर्रियत बातचीत के लिए तैयार है, अब उनसे बातचीत की जानी चाहिए. इस बयान के साथ फारुक अब्दुल्ला ने सवाल भी खड़े किए. उन्होंने कहा आखिर भारत सरकार की नीति क्या है कभी वो हुर्रियत के नेताओं को आतंकियों का संरक्षक मानते हैं तो कभी वो शांति के दूत नजर आने लगते हैं.

फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी में हिंसा सच्चाई है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है. आप सिर्फ हथियारों के बल पर युवाओं के दिलों पर राज नहीं कर सकते हैं. भारत सरकार को पुख्ता कदम उठाना पड़ेगा. ये बात सच है कि हिंसा की वजह से दोनों तरफ की जानें जा रही हैं, लेकिन हमें यह देखना होगा कि अंतिम रास्ता क्या है.

यह भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा- आतंकी जंग हार गए हैं, इसलिए हमले कर रहे हैं

बता दें कि हाल ही में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शनिवार को कहा था कि पिछले साल अगस्त से कश्मीर घाटी में हालात बेहतर हुए हैं और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस सरकार के साथ बातचीत करना चाहती है. मलिक ने कहा, पहले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस बातचीत करना नहीं चाहती थी. राम विलास पासवान उनके दरवाजे पर (2016 में) खड़े थे, लेकिन वे लोग बातचीत के लिए तैयार नहीं थे. अब वे बातचीत के लिए तैयार हैं. अब बदलाव बिलकुल साफ दिख रहा है.

राज्यपाल ने कहा था "अब शुक्रवार की नमाज के बाद दंगा नहीं होता है. मैंने कोशिश करता हूं कि ताकि लोगों को दोबारा वापस लाया जा सके. वहीं आतंकियों पर लगातार हो रही कार्रवाई पर सत्यपाल मलिक ने यह भी कहा कि जब गोली चलेगी सामने तो गुलदस्ता नहीं दिया जाता है. गोली के बदले में गोली ही देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य में आतंकियों की भर्ती ना के बराबर हुई है. साथ ही पथराव की घटनाएं भी थम गई हैं.

राज्यपाल सतपाल मलिक ने कहा था कि अगर आतंकी गोली चलाएंगे तो सुरक्षाबल मुंह तो नहीं देखेंगे. गोलियों का जवाब गोलियों से दिया जाएगा. जो लोग भारत के संविधान के दायरे में बातचीत के लिए तैयार हैं उनका स्वागत है और राजभवन के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं. इस बीच उन्होंने कहा कि हुर्रियत के नेता बातचीत के लिए तैयार हैं और वो उसका स्वागत करते हैं.