Farmers Protest: केंद्र सरकार ने फिर कहा- चिंता न करें किसान, जारी रहेगा एमएसपी
देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान आंदोलन जारी है. आंदोलन की आग में घी डालने का काम एमएसपी, यानी न्यूनतम मूल्य संवधन को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम कर रहा है। इस भ्रम को दूर करने के अपने प्रयासों में केंद्र सरकार ने पुन: दोहराया है कि एमएसपी किसी भी हालत में हटाया नहीं जाएगा. केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "अगर आप चाहें तो हम लिख कर दे सकते हैं कि एमएसपी वर्तमान की तरह ही जारी रहेगा.
देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान आंदोलन जारी है. आंदोलन की आग में घी डालने का काम एमएसपी, यानी न्यूनतम मूल्य संवधन को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम कर रहा है। इस भ्रम को दूर करने के अपने प्रयासों में केंद्र सरकार ने पुन: दोहराया है कि एमएसपी किसी भी हालत में हटाया नहीं जाएगा. केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "अगर आप चाहें तो हम लिख कर दे सकते हैं कि एमएसपी वर्तमान की तरह ही जारी रहेगा." उन्होंने आगे कहा कि किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनके हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को किसानों से जुड़े मुद्दों पर एक प्रेस वार्ता की. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि संसद के पिछले सत्र में भारत सरकार तीन कानून लेकर आई थी, इनपर दोनों सदनों में 4-4 घंटे चर्चा हुई, ये लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुए, कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश गांव तक पहुंचे इसके लिए पीएम के मार्गदर्शन में काम हुआ. यह भी पढ़ें-Farmers Protest: केंद्र के रवैये से आक्रामक हुए किसान, कहा-अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो रेलवे ट्रैक को करेंगे ब्लॉक
उन्होंने कहा कि पहले यूरिया की भारी किल्लत होती थी, उसकी कालाबाज़ारी होती थी। मोदी जी ने यूरिया को नीम कोटेड किया, अब उसकी कोई किल्लत नहीं होती, पिछले 6 सालों में काफी काम हुए। नये कानूनों के माध्यम से सरकार की ये कोशिश थी कि किसान मंडी की जंजीरों से मुक्त हो और किसान स्वतंत्र रूप से उपज बेचे, निजी मंडियों में कोई tax किसान को ना देना पड़े , बुआई के समय उसको कीमत की गारंटी मिल सके, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में SDM को विवाद निपटाने के प्रावधान किए.
सरकार वार्ता को तैयार-
कृषि मंत्री ने कहा, "इन नए कानूनों का पूरा देश ने स्वागत किया... लेकिन कुछ किसान पंजाब के इसके विरोध में उतर आए, हमने कई बार उनसे बातचीत की, लेकिन उनकी तरफ से कोई सुझाव आ ही नहीं रहे थे. वो कानून को निरस्त कराने पर अड़े रहे जबकि हम बार बार प्रावधान पर बातचीत कर रहे थे. हमने मुद्दों के प्रस्ताव बनाकर उनको भेजा, बैठकों में उनको संतुष्ट करने की कोशिश की. MSP की खरीद पर वो सोचते थे कि वो बंद हो जाएगी, हमने स्पष्ट किया कि MSP खत्म नही होगी. हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार थे. बिजली, प्रदूषण के मामलों में भी समाधान को तैयार थे. हमारी पहले भी कोशिश रही है और फिर आग्रह कर रहा हूँ कि आप प्रस्तावों पर चर्चा करें, वो जब भी चाहेंगे हम वार्ता को तैयार हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत हर साल 75 हज़ार करोड़ रुपये किसानों को दिए जा रहें हैं... छोटे किसान 86 फीसदी हैं और इन कानूनों के माध्यम से उनको ज़्यादा फायदा होगा। वो महंगी फसलों की तरफ आकर्षित होंगे। कोविड में सब कुछ बंद हो गया था लेकिन मोदी जी की योजनाओं के चलते कृषि के सभी कार्य चलते रहे और किसानों को आर्थिक मदद दी गयी. देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो ये किसान कृषि और गांव को आत्मनिर्भर बनाकर ही संभव हो सकेगा.
किसानों के साथ अनुबंध तोड़ नहीं सकते व्यापारी-
इस मौके पर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कानून बनाते समय किसानों के हितों का पूर्ण रूप से ध्यान रखा गया। साथ ही यह तय किया गया कि अगर वे किसी भी व्यापारी के साथ कोई समझौता करते हैं, तो उनके सारे अधिकार सुरक्षित रहेंगे। किसान किसी भी व्यापारी या कंपनी के साथ अनुबंध कर, अपनी मनचाही कीमतों पर अपनी उपज बेच सकते हैं. अनुबंध में किसान अग्रिम धनराशि भी ले सकते हैं.
नये कानून के तहत अगर कोई किसान किसी कंपनी या व्यापारी से फसल के पहले ही अनुबंध कर लेता है, और अनुबंध के बाद अनाज के दाम गिर जाते हैं, तो व्यापारी या कंपनी के पास उस अनुबंध को तोड़ने का कोई अधिकार नहीं होगा. व्यापारी को उतनी धनराशि किसान को देनी ही पड़ेगी, जितनी अनुबंध में लिखी गई होगी. भले ही बाज़ार भाव कितने ही नीचे क्यों न चले जाएं.