कृषि बिलों (FarmBills) के खिलाफ किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान किया है. जिसे लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य राज्यों विरोध प्रदर्शन देखा जा रह है. कृषि से जुड़े विधयकों का विरोध सड़कों पर उतर आए हैं. वहीं इस दौरान सियासी पार्टियां मोदी सरकार पर जमकर हमला कर रही हैं. इसी कड़ी में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मोदी सरकार (Modi Govt) पर निशाना साधा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार ने अपने फंडदाताओं के जरिए अन्नदाताओं को कठपुतली बनाने का काम किया है, ये पूरी तरह किसान विरोधी बिल हैं. इस सरकार ने ऐसा कोई भी सेक्टर छोड़ने का काम नहीं किया जिसका इन्होंने निजीकरण न किया हो. MSP का कहीं भी विधेयक में जिक्र नहीं है.
कृषि बिल को लेकर विपक्षी दल एक हो गई हैं. जिसे लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमला किया जा रहा है. वहीं बिहार विधानसभा चुनाव करीब है. ऐसे में एनडीए के विरोधी दल इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घरने में जुट गए है. बता दें कि तेजस्वी यादव के बयान के बाद बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने सरकार का बचाव किया और कहा कि कांग्रेस सहित विपक्ष के लोगों ने आज़ादी के बाद किसानों को ठगने का काम किया और PM जो कृषि विधेयक लाए हैं ये किसानों के हित में हैं. कांग्रेस ने घोषणा पत्र में ऐलान किया था कि APMC एक्ट को हटाएंगे और जब हम हटा रहे हैं तो उसका बेवजह विरोध कर रहे हैं. यह भी पढ़ें:- Farm Bills 2020: 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की समाधि की ओर कूच करेंगे किसान, पुलिस और CIFS के जवान तैनात.
ANI का ट्वीट:-
Govt has made our 'anndaata' a puppet through its 'fund daata'. #FarmBills are anti-farmer and have left them dejected. Govt had said that they'll double farmers' income by 2022 but these Bills will make them poorer. Agriculture sector has been corporatised: Tejashwi Yadav, RJD https://t.co/FYawl9Wfsi pic.twitter.com/svbzHao9Ez
— ANI (@ANI) September 25, 2020
बता दें कि कृषि बिलों के खिलाफ किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान यूपी-बिहार से लेकर पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों में सबसे अधिक देखा जा रहा है. सड़कों पर उतर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं अमृतसर में कृषि बिलों के खिलाफ किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी का रेल रोको आंदोलन चल रहा है. वहीं कृषि संगठनों का कहना है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो आंदोलन आगे लंबा चलेगा.