नई दिल्ली, 22 अक्टूबर: भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने चुनाव खर्च की सीमा से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है. यह कमेटी 120 दिनों में रिपोर्ट देगी. पूर्व राजस्व सेवा अधिकारी हरीश कुमार और महानिदेशक व्यय उमेश सिन्हा की सदस्यता में यह समिति गठित हुई है. यह समिति मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और महंगाई दर में बढ़ोतरी और अन्य पहलुओं के मद्देनजर उम्मीदवारों की खर्च सीमा से जुड़े मुद्दों का परीक्षण करेगी.
दरअसल, कोरोना (Coronavirus) के मद्देनजर विधि और न्याय मंत्रालय ने 19 अक्टूबर, 2020 को निर्वाचन अधिनियम 1961 के नियम संख्या 90 में संशोधन कर वर्तमान खचरें की सीमा में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. खर्च की सीमा में की गई यह बढ़ोतरी वर्तमान में जारी चुनावों में भी तत्काल प्रभाव से लागू होगी. इससे पहले खर्च की सीमा में बढ़ोतरी 2014 में एक अधिसूचना के माध्यम से 28 फरवरी, 2014 को की गई थी, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना (Andhra Pradesh & Telangana) के संदर्भ में 10 अक्टूबर, 2018 को इसमें संशोधन किया गया था.
पिछले 6 वर्षों में खर्च की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई, जबकि मतदाताओं की संख्या 834 मिलियन से बढ़कर 2019 में 910 मिलियन और अब 921 मिलियन हो गई है. इसके अलावा लागत मुद्रा स्फीति में भी वृद्धि हुई, जो 220 से बढ़कर 2019 में 280 और अब 301 के स्तर पर पहुंच गई है. चुनाव आयोग की ओर से गठित यह कमेटी देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या में बदलाव और इसका खर्च पर प्रभाव का आकलन करेगी.
लागत मुद्रा स्फीति सूचकांक में बदलाव और इसके चलते हाल के चुनावों में उम्मीदवारों की ओर से किए जाने वाले खर्च के तरीकों का आकलन के साथ समिति राजनीतिक दलों और अन्य संबंधित पक्षों से उनके विचार भी जानेगी. खर्च पर प्रभाव डालने वाले अन्य पहलुओं का भी परीक्षण किया जाएगा. समिति अपने गठन के 120 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.