नयी दिल्ली. चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की अवधि पहले ही खत्म करने के आदेश की विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता एवं स्वतंत्रता खो चुका है और मॉडल कोड (आचार संहिता) "मोदी कोड ऑफ मिसकंडक्ट" बनकर रह गया है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया की समीक्षा का समय आ गया है क्योंकि यह अपने संवैधानिक कर्तव्य "पूरी तरह से भूल" चुका है और इसने प्रधानमंत्री मोदी को उपहार दिया है। ऐसे समय में जब विभिन्न दलों के नेता चुनाव आयोग की उसके आदेश के लिये खुलेआम आचोलना कर रहे हैं, ममता बनर्जी विपक्ष के लिये एक "केन्द्र बिंदु" के रूप में उभरीं हैं, क्योंकि मायावती, अखिलेश यादव, एम के स्टालिन और एन चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता उनके समर्थन में खड़े हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार 20 घंटे पहले ही रोक देने का चुनाव आयोग का आदेश भारत के लोकतंत्र और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं पर "काला धब्बा" है।
भारत के चुनाव इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग ने बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 324 का इस्तेमाल करते हुए पश्चिम बंगाल में नौ संसदीय क्षेत्रों में तय समय से पहले ही प्रचार रोककर बृहस्पतिवार रात 10 बजे तक ही प्रचार करने का आदेश दिया था। आयोग ने यह फैसला कोलकाता में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा के बाद लिया था।
सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत नियत प्रक्रिया को नकारने के अलावा, चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 324 के तहत अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरी तरह से छोड़ दिया है।"