अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती आज: पीएम मोदी, आडवाणी-अमित शाह समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
श के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal BihariVajpayee) की आज 95वीं जयंती है. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर पीएम मोदी से लेकर अमित शाह सभी ने ट्वीट कर और समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है. पीएम मोदी ने ट्वीट लिखा, देशवासियों के दिलों में बसे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राष्ट्रवादी सोच, बेदाग छवि और राष्ट्र समर्पित जीवन से भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी. विचारधारा और सिद्धांतों पर आधारित अटल जी के जीवन में सत्ता का तनिक मात्र मोह नहीं रहा. उनके नेतृत्व में देश ने सुशासन को चरितार्थ होते देखा.
नई दिल्ली:- देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal BihariVajpayee) की आज 95वीं जयंती है. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर पीएम मोदी से लेकर अमित शाह सभी ने ट्वीट कर और समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है. पीएम मोदी ने ट्वीट लिखा, देशवासियों के दिलों में बसे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राष्ट्रवादी सोच, बेदाग छवि और राष्ट्र समर्पित जीवन से भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी. विचारधारा और सिद्धांतों पर आधारित अटल जी के जीवन में सत्ता का तनिक मात्र मोह नहीं रहा. उनके नेतृत्व में देश ने सुशासन को चरितार्थ होते देखा.
अमित शाह ने दूसरे ट्वीट में लिखा, अटल जी ने जहाँ एक तरफ कुशल संगठनकर्ता के रूप में पार्टी को सींचकर उसे अखिल भारतीय स्वरुप दिया वहीं दूसरी ओर देश का नेतृत्व करते हुए पोखरण परमाणु परिक्षण व कारगिल युद्ध जैसे फैसलों से भारत की एक मजबूत छवि दुनिया में बनाई. अटल जी की जन्मजयंती के अवसर पर उन्हें कोटि- कोटि वंदन.
आज भले ही अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया में न हो लेकिन राजनैतिक या सामाजिक जिस भी दृष्टी से देखें अटल जी सभी में सर्वोच्च स्थान पर आते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक समझ के साथ-साथ अपने भाषण देने की शैली और कविता के कारण भी जाने जाते हैं. उन्हें बीजेपी के आधार स्तंभ के रूप में जाना जाता है. आज उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है. आइये जानते हैं
ऐसा था अटल सफरनामा
आम चुनाव के इतिहास में मथुरा शहर की एक खास जगह है. दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में दूसरे आम चुनाव में न केवल मथुरा से चुनाव हार गए थे, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी. भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से अटल जी भी एक रहे हैं. अटल साल 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे और यह जनसंघ बाद भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनाई.
अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार बलरामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. मोरारजी देसाई के साथ उन्होंने 1977 सरकार बनाई और उसमें विदेश मंत्री का पद संभाला. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 में देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन उनकी सरकार ज्यादा नहीं चल पाई और उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने 19 मार्च, 1998 को फिर एक बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
साथ उन्होंने 1977 सरकार बनाई और उसमें विदेश मंत्री का पद संभाला. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 में देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन उनकी सरकार ज्यादा नहीं चल पाई और उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने 19 मार्च, 1998 को फिर एक बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उनके जन्मदिवस 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. वाजपेयी 3 बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. पहली बार वह 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी. साल 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी. 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पांच सालों का कार्यकाल पूरा किया.
अटल बिहारी वाजपेयी को 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए पाकिस्तान पर विजय प्राप्त करने के बाद इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर प्रशंसा करने के लिए भी जाना जाता है. उनमें विदेश नीति मुद्दे की विशिष्ट योग्यता थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार कांफ्रेंस में पाकिस्तान के कश्मीर अभियान का जवाब देने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने के लिए चुना था.