पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का व्यक्तित्व हमेशा से एक खुली किताब सरीखा रहा है, वे न छद्म बातें करते थे, ना पसंद करते थे. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उनकी शालीनता और सहजता से हर कोई वाकिफ था. यहां तक कि विपक्षी पार्टी में भी वे काफी लोकप्रिय थे. वे मस्तमौला और कॉमन मैन थे. निराश होते तो सिनेमा देखने चले जाते, अमेरिका के डिज्नीलैंड गये तो टिकट के लिए कतार में खड़े हो गये, आम जनता के साथ राइडिंग का लुत्फ उठाया. उनकी सादगी और सहजता के कायल जवाहरलाल नेहरू तक थे. हांलाकि जब उन्हें गुस्सा आता तो खुद को रोक नहीं पाते थे, फिर चाहे वह अमेरिका की सरजमीं ही क्यों न हो. उनकी 95वीं जन्मतिथि पर एक ऐसी ही एक घटना का जिक्र हम यहां कर रहे हैं...
स्वतंत्र भारत के इतिहास के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी बाजपेयी, जिन्होंने अपनी योग्यता के दम पर पांच साल तक निर्विघ्न सत्ता का संचालन किया था. हिंदुस्तान को एक नई दशा-दिशा देने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन उनके कार्यकाल में कंधार प्रकरण ने उन्हें मानसिक और व्यवहारिक दोनों तरीके से पीड़ित किया. उनकी पीड़ा की वजह थी, कंधार हाईजैक और करगिल का युद्ध छेड़ कर पड़ोसी देश ने उनकी पीठ पर छूरा भोंका था, जिसके सामने अटल जी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कई योजनाएं शुरू की थी. इस वजह से अटल जी बेहद स्तब्ध और खफा थे.
पाकिस्तान पर फूटा था गुस्सा
हैरानी की बात यह थी कि पाकिस्तान ने करगिल की जंग छेड़ दी थी, मगर वहां के प्रधानमंत्री को इसकी भनक तक नहीं लग पाई थी. क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अनुसार यह जंग सेनाध्यक्ष मुशर्रफ ने छेड़ी थी. दरअसल अमेरिका जो उस समय तक पाकिस्तान का हमदर्द हुआ करता था, करगिल कांड उसे रास नहीं आया. उसने नवाज शरीफ को वाशिंगटन बुलवा कर जब तलब किया कि करगिल जंग क्यों छिड़ी? नवाज ने सफाई दी कि करगिल कांड में उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया था. यह सेनाध्यक्ष मुशर्रफ की इच्छा से हुआ.
अमेरिका ने संधि की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से बात की तो अटल जी ने अमेरिका के किसी भी सवाल का जवाब दिये बिना दो टूक कहा कि हमला पाकिस्तान ने किया है हमने नहीं. आप इस विषय में उन्हीं से बात करें, मुझे तो पाकिस्तान को सबक सिखाना है वह भी अपने तरीके से. विश्व के सर्वोच्च शक्तिमान देश को अटल जी द्वारा दिये दो टूक जवाब से सारी दुनिया ने अटल के साहस और हिम्मत की प्रशंसा की.
अमेरिका और नवाज शरीफ की मुलाकात के दौरान शरीफ ने क्लिंटन से शंका जाहिर करते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुशर्रफ भारत पर एटॉमिक हमला कर सकता है. नवाज शरीफ की शक से चिंतित अमेरिका ने भारतीय प्रधान मंत्री अटल जी से बात की और पाकिस्तानी सेना के कुटिल इरादों के बारे में बताया तो अटल जी थोड़ी देर खामोश रहे, इसके बाद बहुत बेफिक्री से जवाब दिया, पाकिस्तानी सेना के एटॉमिक अटैक से भारत का कुछ भी बुरा नहीं होगा, अलबत्ता पाकिस्तान अगली सुबह का सूरज नहीं देख सकेगा. मगर ये मेरा वादा है कि हम पहल नहीं करेंगे. अब बारी थी सकते में आने की अमेरिका की. वे अटल जी के अटल इरादों को भांप चुके थे. बहुत जल्दी अटल जी के इरादे और वादे की बात दुनिया भर में फैल गयी.
दुनिया को अटल जी का अटल संदेश मिल चुका था कि हिंदुस्तान अपने मुद्दे खुद निपटा सकता है. अटल जी पाकिस्तान के सपोर्टर कहे जाने वाले अमेरिका और चीन जैसी शक्तियों की चिंता न कर अपनी सेना पर भरोसा किया, और बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अपनी समस्या से अकेले निपटने की कुवत रखता है. अंततः अटल जी के अदम्य साहस और अटल इरादों वाली भारतीय सेना के सामने अमेरिकी मदद से सांस लेने वाले पाकिस्तान को चौथी बार हार का सामना करना पड़ा. अमेरिका भी अटल जी की शख्सियत का दीवाना बनकर रह गया.