नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Elections 2020) के लिए कुछ ही महीने बचे हैं और राजनीतिक पार्टियां (Political Parties) प्रचार अभियान को प्रभावी बनाने की तमाम तैयारियों में अभी से जुट गई हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के मद्देनजर मतदाताओं (Voters) को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां तरह-तरह के हथकंडे अपनाती दिख रही हैं. खबरों के अनुसार, राजनीतिक पार्टियां चीनी वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक (TikTok) के जरिए मतदाताओं को लुभाने की योजना बना रही हैं. राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को टिक टॉक के जरिए रिझाने के लिए चुनाव प्रचार संबंधी सामग्रियों को तैयार करने की योजना बना रही हैं.
हालांकि इससे पहले माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर की तरह ही टिक टॉक ने यह ऐलान किया था कि वो अपने मंच पर राजनीतिक विज्ञापनों को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं देगी, लेकिन डिजिटल एजेंसियां युवाओं के अनुकूल ऐप पर राजनीतिक सामग्रियों को पेश करने के नए तरीके तलाश रही है.
टिक टॉक पर प्रचार की योजना पर विस्तार से चर्चा करते हुए इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से टिक टॉक के निदेशक नरेश अरोड़ा ने बताया कि हम चुनाव के लिए टिक टॉक पर बहुत गंभीरता से विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ऐप युवाओं के बीच एक लत की तरह उभरा है. ऐसे में इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ऐसे करना होगा जो राजनीतिक न लगे. यह भी पढ़ें: सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार ने टिक-टॉक से मांगा जवाब
बता दें कि DesignBoxed ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के अभियानों के लिए प्रबंधन किया था. उन्होंने कहा कि DesignBoxed कांग्रेस के लिए सोशल मीडिया अभियान के कार्यभार को भी संभाला था. अरोड़ा ने कहा कि टिकटॉक की विश्वसनीयता अब और भी बढ़ गई है. ऐसे में आगामी चुनावों में राय बनाने में टिकटॉक की बड़ी भूमिका हो सकती है. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि विज्ञापनदाता और उपयोगकर्ता इस मंच का लाभ कैसे उठाते हैं.
गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने इस साल के शुरुआत में टिक टॉक पर अस्थायी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके चलते इस ऐप की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे थे. हालांकि इस प्रतिबंध के हटाए जाने के बाद एक बार फिर टिक टॉक आईओएस प्लेटफॉर्म और गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हो गया था. रिकॉर्ड के अनुसार, भारत में करीब 200 मिलियन से भी अधिक लोग टिक टॉक का इस्तेमाल करते हैं.