छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 नतीजे: इन 3 नेताओं में से ही एक बनेगा सूबे का अगला मुखिया

छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में अभी कुल 11 लोकसभा और 5 राज्यसभा की सीटें हैं. छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले हैं.

छत्तीसगढ़ में 12 नवम्बर को 18 सीटों पर और 20 नवम्बर को 72 सीटों पर मतदान हुआ था

नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर हैं. सूबे में मायावती और पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी ने मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास जरुर किया मगर एग्जिट पोल के नतीजों की माने तो कांग्रेस-बीजेपी में से ही कोई सत्ता में काबिज होगा. छत्तीसगढ़ में नवंबर में 2 चरणों में वोटिंग हुई थी. इस राज्य में 12 नवम्बर को 18 सीटों पर और 20 नवम्बर को 72 सीटों पर मतदान हुआ था. मतगणना 11 दिसम्बर को होगी.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में मामूली कमी के साथ 76.35 प्रतिशत मतदान हुआ. साल 2013 में हुये विधानसभा चुनाव में मतदात का प्रतिशत 77.40 रहा था. इन चुनावों में मुख्यमंत्री पद के तीन प्रबल दावेदार हैं.

रमन सिंह:

रमन सिंह छत्तीसगढ़ के दिग्गज बीजेपी नेता हैं और 2003 से सूबे के मुख्यमंत्री हैं. वे इस बार नक्सल प्रभावित राज्य में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का प्रयास कर रहे हैं. 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही रमन सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 66 साल के रमन सिंह पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं. वह लगातार बहुमत के साथ राज्य में जीत दर्ज करते आए. रमन सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ के युवा सदस्य के तौर पर की थी. वे 1990, 1993 में मध्यप्रदेश से विधानसभा सदस्य चुने गए थे.

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बीजेपी ने उन्हें 1999 में राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया. सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया और अटल सरकार में मंत्री बने. छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2003 में उन्होंने पार्टी को बहुमत से जीत दिलवाई. रमन सिंह लंबे समय मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेताओं में से एक हैं.

भूपेश बघेल:

कांग्रेस की ओर भूपेश बघेल मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं. 2014 छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष बने बघेल सूबे में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं. भूपेश बघेल का जन्‍म 23 अगस्‍त 1961 को तत्‍कालीन मध्‍य प्रदेश के दुर्ग जिले के एक किसान परिवार में हुआ था. सूबे में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में बघेल का अहम योगदान है. 1985 में बघेल भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हुए और 1990 से 1994 तक यूथ कंग्रेस दुर्ग जिला (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे.

बघेल को दिसंबर 1998 में दिग्‍विजय सिंह के मंत्रिमंडल में राज्‍य मंत्री का पद मिला. इसके बाद 1999 में उन्‍हें परिवहन मंत्री बना दिया गया. छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने के बाद उन्‍हें राज्‍य का पहला राजस्‍व मंत्री बनाया गया. वह 2003 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधान सभा में विपक्ष के उप नेता थे. अगर सूबे में कांग्रेस की सरकार आती है तो बघेल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता हैं.

अजित जोगी:

छत्तीसगढ़ की जनता अगर महरबान हुई तो 11 दिसम्बर को अजित जोगी फिर एक बार सूबे के CM बन सकते हैं. कांग्रेस से नाता तोड़ने वाले अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (सीजेएस) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने इस चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है. अजीत जोगी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर कलेक्टर की थी. कलेक्टर रहने के दौरान जोगी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आ गए. राजीव गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल करवाया और सक्रिय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया.

जोगी 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर बने रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए. वे 2000 में छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने. जोगी 2003 तक राज्य के सीएम रहे. हालांकि, बाद में उनकी तबीयत खराब होती रही. इस दौरान रमन सिंह 3 बार सूबे के मुखिया बन गए. 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से गठन किया. जोगी हमेशा से ही सतनामी (एससी का एक समुदाय) लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. जब से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है  सूबे की सियासत जोगी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है.

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