लखनऊ: प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. कुछ जगह श्रमिकों से पैसे वसूलने जाने की घटना को लेकर सपा और कांग्रेस के बाद आज बसपा भी इस मुद्दे पर कूद गयी है. बसपा मुखिया ने कहा कि अगर सरकारें प्रवासी मजदूरों को किराया देने में आनाकानी करती हैं तो बसपा अपने सामथ्र्यवान लोगों के माध्यम से मदद की व्यवस्था करेगी. मायावती (Mayawati) ने ट्वीट के माध्यम से लिखा कि "यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों व बसों आदि से भेजने के लिए, उनसे किराया भी वसूल रही हैं. सभी सरकारें यह स्पष्ट करें कि वे उन्हें भेजने के लिए किराया नहीं देपायेंगी. बसपा की यह मांग है."
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि ऐसी स्थिति में बसपा का यह भी कहना है यदि सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती है तो फिर बी़एस़पी़, अपने सामर्थवान लोगों से मदद लेकर, उनके भेजने की व्यवस्था करने में अपना थोड़ा योगदान जरूर करेगी. यह भी पढ़ें: कांग्रेस का प्रवासी मजदूरों की यात्रा का भार उठाना ‘‘ नौटंकी’’ : कर्नाटक मंत्री
1. यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों व बसों आदि से भेजने के लिए, उनसे किराया भी वसूल रही हैं। सभी सरकारें यह स्पष्ट करें कि वे उन्हें भेजने के लिए किराया नहीं दे
पायेंगी। बी.एस.पी. की यह माँग है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) May 5, 2020
इसके पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों का विवरण मांगा है. उन्होंने कहा कि मजदूरों का किराया प्रदेश कांग्रेस कमेटी वहन करेगी. उन्होंने मजदूरों से आग्रह किया िकवह निश्चिंत होकर घर लौटे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देष पर प्रदेश कांग्रेस उनके रेल टिकट का खर्च वहन करेगी. उधर, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि प्रदेश के हजारों लोग फंसे हैं. अन्य प्रांतों में फंसे यहां के श्रमिकों का सही आंकड़ा भी नहीं है. अब दूसरे राज्यों की सरकारों द्वारा यूपी वालों की उपेक्षा किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं. अपने उत्तर प्रदेश में भी अब प्रशासन उदासीन हो चला है. यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में फंसे हजारों प्रवासी मजदूर, विशेष ट्रेन के लिए रेलवे को राज्य सरकारों के अनुरोध का इंतजार
उन्होंने कहा कि भाजपा राज में भ्रष्टाचार भी कहां थम रहा है. रेलवे ने यात्रियों से कमाया पैसा प्रधानमंत्री के कोष में दान किया. फिर वही पैसा वसूलने के लिए भूखे प्यासे और जैसे-तैसे अपने घर लौट रहे गरीब श्रमिकों से 50 रूपया सरचार्ज लगा किराया लिया जा रहा है. आपदाकाल में भी गरीब का शोषण भाजपा मॉडल है. कामगारों और श्रमिकों के साथ सरकार जो दुर्व्यवहार कर रही है उससे देश के आत्मसम्मान को धक्का लग रहा है.