नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी सक्रीय हो चुकी है. पार्टी अब अपनी सोशल छवि सुधारने की जद्दोजहत में लग चुकी है. इसके लिए पार्टी ने अपने सांसदों और विधायकों के लिए 65 पन्नों की एक गाइडबुक जारी की है. इस गाइडबुक में उन बातों की लिस्ट है. जिन पर बीजेपी नेताओं को गंभीरता से अमल करना है. साथ ही उन बातों की भी लिस्ट भी गाइडबुक में है. जिनसे बीजेपी नेताओं को बचना है. इसमें विशेष रूप से पत्रकारों के साथ अच्छे संबंध रखने पर विशेष जोर दिया गया है. इसके साथ ही सभी नेताओं को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की और समर्थकों से जुड़े रहने आदि बातों का जिक्र है.
सभी बीजेपी नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थक प्रोफाइलों का डेटाबेस तैयार करें और उन पर नजर रखें, जो नए फॉलोवर्स हों और जो बीजेपी की विचारधारा और दर्शन को समझते हों उन पर भी विशेष ध्यान रखा जाए.
बीजेपी की इस कोशिश की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अपने सांसदों और विधायकों के निजी स्टाफ के लिए भी एक ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया. यह ट्रेनिंग सेशन गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित हो रहा है. इसे देश भर के बीजेपी सांसदों और विधायकों के निजी सचिवों और सहायकों के लिए कराया जा रहा है. बीजेपी सार्वजनिक रूप से अपने नेताओं को किसी शर्मिंदा करने वाली घटना से बचाने के लिए उनके सचिवों को ये ट्रेनिंग दे रही है.
65 पेज की इस गाइडलाइंस के मुताबिक भाजपा सांसदों और विधायकों को फाइनेंशियल मैनेजमेंट, जिसमें सांसद या विधायक निधि के धन का इस्तेमाल कैसे करना है? अपनी यात्राओं को कैसे मैनेज करना है? और पर्सनल डेवलेपमेंट कैसे करना है? इस बात की जानकारी दी गई है.
इसके साथ ही बीजेपी की विभिन्न सामाजिक कल्याण की योजनाएं, पार्टी के सामने आने वाली चुनौतियां और सरकार की आर्थिक नीतियों के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस गाइडबुक में पार्टी के इतिहास और उसकी विचारधारा के बारे में भी जानकारी दी गई है.
मीडिया से व्यवहार के लिए विशेष निर्देश
इस गाइडबुक में मीडिया संबंधित एक चैप्टर अलग से रखा गया है. जिसमें पत्रकारों से व्यवहार और बातचीत के लिए गाइडलाइंस दी गई हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं को पत्रकारों से सम्मानजनक व्यवहार करने को कहा गया है. साथ ही फिजूल बातों से दूर रहने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही कहा गया है कि पत्रकारों को ज्यादा इंतजार ना कराया जाए और निजी स्टाफ खुद मीडिया से बात ना करे बल्कि सिर्फ सांसदों, विधायकों और मीडिया के बीच संपर्क-सूत्र का काम करे.