भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि भाजपा की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) राज्य का अगला विधानसभा चुनाव भी मुख्यमंत्री एवं जदयू (JDU) अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में ही लडे़गा. बिहार विधानसभा में बिहार विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2019 पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देने के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में सुशील ने कहा, ‘‘कई बार मीडिया में तरह-तरह के भ्रम पैदा किए जाते हैं कि क्या होगा. यह गठबंधन चलेगा कि नहीं. मैं सदन के माध्यम से बिहार की जनता को बताना चाहूंगा कि अगला विधानसभा का चुनाव भी यह गठबंधन नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा.’’
बिहार में राजग गठबंधन में शामिल नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, भाजपा और केंद्रीय मंत्री रामविलास की लोक जनशक्ति पार्टी ने साथ मिलकर लड़ा था और प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में 39 पर विजयी रहे थे. सुशील ने मुख्य विपक्षी राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई किसी भ्रम में नहीं रहे, डूबते हुई नैया पर कौन सवार होना चाहेगा. उन्होंने बिहार में पिछले 15 साल के राजग शासनकाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि बार-बार लोग हमारे (राजग) 15 साल के शासन का जिक्र करते हैं और वह (विपक्षी) कहते हैं कि हमारे पिछले 15 साल का जिक्र सत्तापक्ष कब तक करता रहेगा, तो अब जनता तय करे कि उनके 15 साल में ज्यादा काम हुआ या हम लोगों के 15 साल में ज्यादा काम हुआ.
सुशील ने कहा कि अगर उन लोगों ने अपने 15 सालों के कार्यकाल में काम किया होता और एक मजबूत नींव पर बिहार को खड़ा कर दिया होता तो आज हम 3-4 मंजिला विकास की गाथा लिख सकते थे लेकिन वे लोग तो श्मशान जैसा बिहार को छोड़ कर चले गए. उन्होंने कहा कि जनता तय करेगी कि किस गठबंधन ने और किन लोगों ने 15 साल में बेहतर काम किया है. यह भी पढ़ें- बिहार: सीएम नीतीश कुमार का बड़ा फैसला, पुलिस स्टेशनों में कानून व्यवस्था और अन्य मामलों की जांच के लिए होंगे अलग-अलग अधिकारी
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की सदन से लगातार अनुपस्थिति की चर्चा करते हुए सुशील ने आरोप लगाया कि आज सदन की कार्यवाही का 17वां दिन है पर मुझे दुख है कि प्रतिपक्ष के नेता ने सदन के भीतर संभवत: एक शब्द भी नहीं बोला है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बिहार के संसदीय इतिहास का यह पहला मौका होगा कि प्रतिपक्ष के नेता ने न तो बजट पर चर्चा या सदन की किसी अन्य कार्यवाही में भाग लिया.