Bihar Assembly Election 2020: बिहार में ऑक्सफोर्ड में पढ़े मनीष बरियार चुनावी अखाड़े के बने 'योद्धा', मांग रहे वोट
चुनाव (Photo Credits: IANS)

पटना, 14 अक्टूबर. बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसे तो करीब सभी प्रमुख राजनीतिक दल के योद्धा चुनावी अखाड़े में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं, लेकिन इस अखाड़े में एक ऐसा योद्धा भी है, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुका है, लेकिन उनके अपने क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना उसे फिर से पटना ले आई और वो चुनावी मैदान में उतर आए. पटना के रहने वाले मनीष बरियार आज चुनावी मैदान में सियासत का पाठ पढ़ रहे हैं. मनीष बरियार वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड की नौकरी छोड़कर इस चुनाव में बांकीपुर से चुनावी मैदान में हैं और लोगों के बीच पहुंचकर वोट मांग रहे हैं. मनीष का दावा है कि उनको लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। वे कहते है कि लोग सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से किसी न किसी कारण से नाराज हैं, यही कारण है कि वे ऐसे विकल्प की तलाश में हैं जो राजनीति से नहीं अपने बीच से आया व्यक्ति हो.

मनीष कहते हैं, पिछले काफी दिनों से वे शिक्षक का काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उन्हें नौकरी में कभी मन नहीं लगा. प्रारंभ से ही उनकी तमन्ना अपनी जन्मभूमि की सेवा करने की रही है। और जब वह स्थल गंगा के किनारे हो तो कोई भी चाहेगा उनकी अंतिम यात्रा भी इसी स्थान से निकले. पटना के ए एन कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर मनीष ने कैट की परीक्षा दी और उनका चयन भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में हो गया. इसके बाद उनका चयन ऑगेर्नाइजेशन लीडरशिप प्रोग्राम के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (यूके) में हो गया. मनीष भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड अधिकारी की नौकरी भी की, लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा और वे पटना लौट आए। यहां वे शिक्षक की भूिमका में उतर आए छात्रों को प्रबंधन की शिक्षा देने लगे. उन्होंने आईएनएस से कहा, मैं यहां वोट की राजनीति में नहीं आया हूं. मैं यहीं का जन्मा हूं. मेरी कर्मभूमि भी बांकीपुर रही है. मैं लोगों के बीच पहुंच रहा हूं और लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहा हूं. मैं निर्दलीय खड़ा हूं. यह भी पढ़ें-Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव के मद्देनजर नंदकिशोर ने पटना साहिब से तो लालू के पुत्र तेज प्रताप ने हसनपुर से भरा नामांकन

उन्होंने बताया कि उनकी पृष्ठभूमि मध्यम वर्ग की रही है. उन्होंने कहा कि आज राजनीति में लोग पैसे कमाने के लालच में पहुंच रहे है, जो कहीं से समाजवाद नहीं है. वे तर्क देते हुए कहते हैं कि लोगों को कुछ पैसा कमाकर राजनीति में आना चाहिए, जिससे उनकी स्वयं की जरूरतें पूरी हो सके और जनप्रतिनिधि बनकर लोगों की सेवा करते रहें. राजनीति पुष्ठभूमि के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे कॉलेज में छात्र संगठन का चुनाव लड़ चुके हैं. समाजसेवा और लोगों को शिक्षित करना उनका उद्देश्य है.

मनीष बरियार को बिहारी होना गर्व है. उन्होंने कहा, बिहार राज्य भारत का सच्चे मायनों में प्रतिनिधित्व करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के लोगों ने बहुत कुछ हासिल किया है। हालांकि, बिहार को उतना खास हासिल नहीं हुआ, जितनी उम्मीद की जाती है। बिहार में बदलाव लाने के लिए लोगों को आगे आने होगा. वे कहते है कि बिहार जैसे राज्य में विकास की अपार संभावनाएं है और इसके लिए बिहार के लोगों को पहल करनी होगी.

बहरहाल, मनीष देश की राजनीति का पाठशाला कहे जाने वाले बिहार की राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरूआत की है, लेकिन राजनीति के धुरंधरों के बीच मनीष नेताओं के दांव-पेंच से कैसे पार पाएंगें, यह देखने वाली बात होगी.