पश्चिम बंगाल (West Bengal) और असम (Assam) में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए दूसरे चरण (Second Phase) का चुनाव प्रचार कल खत्म हो गया है. इस चरण में असम विधानसभा की 39 सीटों के लिए और पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर चुनाव होगा. दोनों राज्यों में दूसरे चरण के लिए मतदान 1 अप्रैल को होगा.
कितना महत्वपूर्ण है पश्चिम बंगाल चुनाव
पश्चिम बंगाल चुनाव में जिस तरह भाजपा ने आक्रामक चुनाव प्रचार किया, इससे पता चलता है कि ये चुनाव भाजपा के लिए कितने अहम हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रभावी प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 सीटें जीतीं थी. इसके बाद भाजपा ने खुद को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सामने मुख्य विपक्षी दल प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था, जो ममता बनर्जी को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से न सिर्फ रोक सकती है बल्कि खुद सत्ता पर आसीन हो सकती है.
पत्रकार के.आर. मूर्ति कहते हैं, 4 राज्यों व 1 केंद्र शासित प्रदेश के चुनाव में पश्चिम बंगाल का चुनाव भाजपा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण के राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल ही है, जहां भाजपा सरकार में नहीं आ सकी है. भाजपा इस चुनाव को जीतकर हिन्दी पट्टी की पार्टी होने का टैग हटाना चाहेगी. इसके लिए पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह , पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर ममता बनर्जी अकेले ही सबका सामना कर रहीं हैं.
नंदीग्राम पर टिकी हैं सबकी निगाहें
पश्चिम बंगाल में 30 सीट पर मतदान होना है, जहां दूसरे चरण में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सीट नंदीग्राम विधानसभा सीट होगी. दरअसल, इस सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सुवेन्दु अधिकारी आमने-सामने होंगे. सुवेन्दु अधिकारी एक समय ममता बनर्जी के एक खास सिपहसालार रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में 30 सीटों पर 171 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं जिसमें 19 महिला प्रत्याशी भी शामिल हैं. नंदीग्राम संग्राम पर पत्रकार के.आर. मूर्ति कहते हैं, नंदीग्राम सीट पर सिर्फ भारतीय मीडिया और भारतीय लोगों की ही नजर नहीं है अपितु पूरी दुनिया के राजनीतिज्ञ भी इस पर अपनी अपनी दृष्टि जमाए हैं, क्योंकि नंदीग्राम सीट के नतीजे आगामी कई वर्षों तक भारतीय चुनावी राजनीति किस दिशा में जाएगी, इसका स्पष्ट संकेत होंगे.
क्यों उभर रही है भाजपा
पिछले 2 साल में टीएमसी के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए हैं. विशेषकर सुवेन्दु अधिकारी और उनके भाई देवेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने से पार्टी के लिए सभावनाएं और बढ़ गईं हैं. अधिकारी परिवार का पश्चिम बंगाल के दक्षिण इलाके में अच्छा-खासा वर्चस्व है. यह वही जगह है, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. अधिकारी बंधुओं के आने से भाजपा का विश्वास मजबूत हुआ है कि पार्टी दक्षिण बंगाल में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी.
कांग्रेस ,लेफ्ट, इंडियन सेकुलर फ्रंट और बसपा के भी 7 प्रत्याशी इस चरण में भाग्य आजमा रहे हैं. इस पर पत्रकार विनय कुमार कहते हैं, ‘इन पार्टियों में खासकर लेफ्ट और कांग्रेस के वोटर भी बढ़ी संख्या में है, जो इनविजिबल वोटर हैं. ब्रिगेड परेड ग्राउंड की रैली इसका सबूत है. लेफ्ट का काडर आज भी मजबूत है.
असम में क्या है चुनावी गणित
असम में भी 1 अप्रैल को 39 सीटों के लिए दूसरे चरण की वोटिंग होगी, जहां 126 सीटों के लिए चुनाव तीन चरणों में सम्पन्न होगा. इसमें 47 सीट के लिए पहले चरण में मतदान हो चुका है. पहली 47 सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा का वर्चस्व रहा. भाजपा इस चुनाव में असम गण परिषद और यूपीपीएल के साथ एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर रही है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस, बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट और लेफ्ट के साथ महाजोत गठबंधन का नेतृत्व कर रही है.
चाहे भाजपा हो या कांग्रेस सभी ने दूसरे चरण के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार किया है. कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी असम में खूब प्रचार कर रहे हैं, जबकि ये पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार से अबतक दूर रहे हैं. यह असम में कांग्रेस के लिए जमीन बचाने की लड़ाई है.