विधानसभा उपचुनाव 2019 नतीजे: झाबुआ में हार से बीजेपी में बढ़ी 'रार'

मध्यप्रदेश के झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मिली हार ने बीजेपी के भीतर चल रहे असंतोष को सामने लाने का काम कर दिया है. विधायक केदारनाथ शुक्ला ने तो सीधे तौर पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह पर ही हमला बोल दिया है. पार्टी के भीतर यह आग और न भड़के इसके लिए शुक्ला को आनन-फानन में कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया है.

विधानसभा उपचुनाव 2019 नतीजे: झाबुआ में हार से बीजेपी में बढ़ी 'रार'
भारतीय जनता पार्टी (Photo Credits: IANS)

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मिली हार ने बीजेपी के भीतर चल रहे असंतोष को सामने लाने का काम कर दिया है. विधायक केदारनाथ शुक्ला ने तो सीधे तौर पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह (Rakesh Singh) पर ही हमला बोल दिया है. पार्टी के भीतर यह आग और न भड़के इसके लिए शुक्ला को आनन-फानन में कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया है. राज्य में कांग्रेस बाहरी समर्थन से सरकार चला रही है, ऐसी स्थिति में बीजेपी (BJP) झाबुआ उप चुनाव जीत कर सरकार की मुश्किल बढ़ाना चाहती थी.

इसके लिए उसने रणनीति भी बना ली थी कि झाबुआ उप-चुनाव में जीत दर्ज करते असंतुष्ट और बागी तेवर रखने वाले विधायकों पर डोर डाले जाएं जिससे कमलनाथ सरकार मुश्किल में आए, मगर हार मिलते ही पार्टी के भीतर विरोधी स्वर उठने लगे हैं. सीधी जिले से विधायक केदार नाथ शुक्ला (Kedar Nath Shukla) ने सीधे तौर पर पार्टी के प्रदेश इकाई अध्यक्ष राकेश सिंह पर हमला बोलते हुए उनकी नेतृत्व क्षमता पर ही सवाल उठा दिए है.

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उनका कहना है, "झाबुआ में न तो बीजेपी की हार हुई है और न ही कांग्रेस की जीत. चुनाव में प्रतिकूल परिणाम सिर्फ बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के अराजनीतिक कृत्यों के कारण आया है. केंद्रीय नेतृत्व को जल्दी से जल्दी उन्हें पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा देना चाहिए." विधायक शुक्ला के प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ आए बयान के बाद कोई और बयान सामने न आए, हार के लिए किसी दूसरे को जिम्मेदार न ठहराया जाए, इस पर अंकुश लगाने के मकसद से पार्टी ने आनन-फानन में गुरुवार की रात को ही शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया.

बीजेपी की प्रदेश इकाई के महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के परिणाम को लेकर सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला के वक्तव्य को पार्टी अनुशासनहीनता मानती है. उन्होंने जो कहा है वह पार्टी की रीति-नीति के तहत नहीं आता. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पर अक्षमता के जो आरोप लगाए हैं, उसके संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के उपरांत उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. नोटिस का जवाब आने पर पार्टी आगामी कार्यवाही करेगी .

शर्मा ने लोकसभा चुनाव में मिली सफलता का जिक्र करते हुए कहा, "पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के नेतृत्व में ही 29 में से 28 सीटें जीती हैं. बीजेपी उपचुनाव पहली बार नहीं हारी है, इससे पहले हम सत्ता में रहते हुए भी उप चुनाव हारे हैं. पार्टी की जीत और हार में सामूहिक नेतृत्व होता है." राज्य की कमलनाथ सरकार को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है और राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में झाबुआ उप चुनाव से पहले कांग्रेस के पास बहुमत से दो कम 114 विधायक थे, जो अब बढ़कर 115 हो गए है, इस तरह कांग्रेस पूर्ण बहुमत के आंकड़े के करीब बढ़ी है.

उसके पास अब सिर्फ एक सीट कम है. वहीं बीजेपी के 108 विधायक थे जो विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से एक कम हो गए है. कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. इस तरह सरकार को अब 122 विधायकों का समर्थन हो जाएगा.

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया बीजेपी में अंतर्कलह की बात स्वीकारते हैं और कहते है कि "बीते 10 माह में बीजेपी का प्रदर्शन निचले स्तर पर है. उसमें नीति, नेता और नेतृत्व कहीं भी नजर नहीं आता है. पार्टी के बड़े नेताओं में टकराव का दौर जारी है, जहां तक केदार नाथ शुक्ला की बात है तो वह तो सिर्फ राकेश सिंह के विरोधी खेमे के मोहरा मात्र हैं."

सूत्रों का कहना है कि, बीजेपी झाबुआ चुनाव के बाद सरकार को बड़ा झटका देना चाहती थी, यही कारण है कि, चुनाव के दौरान यहां तक बयान आ गए थे कि दीपावली के बाद राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलेगा. अब स्थिति विपरीत हो गई है, लिहाजा पार्टी के भीतर असंतोष का फूटना लाजिमी था और वैसा ही हुआ, मगर अब आगे यह सिलसिला न बढ़े इसी के चलते महज कुछ घंटों में ही कारण बताओ नेाटिस जारी कर दिया गया, यह ठीक वैसा ही है कि, आग के बड़ा रुप लेने से पहले ही पानी डाल दिया जाए.

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