कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सत्यपाल मलिक पर साधा निशाना, कहा- उन्हें जम्मू-कश्मीर बीजेपी का अध्यक्ष बना देना चाहिए

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधा है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को राज्य बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए क्योंकि उनका व्यवहार और बयान बीजेपी नेता की तरह हैं.

अधीर रंजन चौधरी (Photo Credits: ANI)

लोकसभा (Lok Sabha) में कांग्रेस (Congress) के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) पर निशाना साधा है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को राज्य बीजेपी (BJP) का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए क्योंकि उनका व्यवहार और बयान बीजेपी नेता की तरह हैं. ज्ञात हो कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद हालात का जायजा लेने के लिए कश्मीर जाने का प्रयास कर रहे राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं को राज्य प्रशासन ने शनिवार को श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी और उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया था.

हालांकि उससे एक दिन पहले जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने एक बयान जारी कर राजनीतिक नेताओं को घाटी नहीं आने को कहा था क्योंकि इससे शांति और जनजीवन बहाल करने में दिक्कत होगी. उधर, जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को राज्य में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी से इनकार करते हुए कहा कि संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिंदगियां बचीं. घाटी में रविवार को दवा की अधिकतर दुकानें खुली रहीं. यह भी पढ़ें- कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना, कहा- कश्मीर में आज हालात कंसंट्रेशन कैंप के समान हैं

मलिक ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है. पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि राज्य में प्रतिबंध कब तक जारी रहेंगे, उन्होंने कहा, “अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है?” मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी. उन्होंने कहा, “हमारा रवैया था कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए. 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे.”

भाषा इनपुट

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