Bengal Teachers Recruitment Scam: नगर पालिका भर्ती घोटाले में सुजीत बोस को सीबीआई के समन पर बंगाल में राजनीतिक घमासान
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कोलकाता, 24 अगस्त: पश्चिम बंगाल में नगरपालिका भर्ती घोटाले के सिलसिले में 31 अगस्त को अग्निशमन सेवा मंत्री सुजीत बोस को सीबीआई के समन पर राजनीतिक घमासान छिड़ गया है हालांकि गुरुवार दोपहर तक रिपोर्ट दाखिल होने तक बोस खुद इस मामले में किसी भी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के राज्य उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने मंत्री के समर्थन में आवाज उठाई है. यह भी पढ़े: Bengal Teachers Recruitment Scam: बंगाल स्कूल भर्ती घोटाला में मुख्य आरोपी सुजय भद्र सीने में दर्द के बाद फिर से आईसीयू में भर्ती

मजूमदार ने कहा, “भाजपा और केंद्र सरकार के लिए विपक्षी दलों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का उपयोग करना एक नियमित अभ्यास रहा है मुझे सटीक कारण की जानकारी नहीं है कि राज्य अग्निशमन सेवा मंत्री को क्यों बुलाया गया है मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि वह पूछताछ का सामना करने के लिए सीबीआई कार्यालय जाएंगे या नहीं लेकिन यह स्पष्ट है कि केंद्रीय एजेंसियों का हालिया अभियान तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ एक कहानी बनाने के लिए भाजपा की एक चाल है

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य के मुताबिक, कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई जांच कर रही है उन्‍होंने कहा, “बेशक राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर केंद्रीय एजेंसी की जांच को रोकने की कोशिश की, जो अंततः विफल रही.

सीबीआई को कुछ ठोस कारण जरूर मिले हैं, इससे उन्हें लगता है कि मंत्री से पूछताछ की जानी चाहिए भट्टाचार्य ने कहा, यह आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं है कि कार्रवाई किसी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है बोस को दम दम (दक्षिण) नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष के रूप में बिधाननगर नगर निगम (बीएमसी) में भर्ती प्रक्रिया में उनकी भूमिका पर पूछताछ करने के लिए सीबीआई अधिकारियों ने बुलाया था.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को पश्चिम बंगाल में निजी रियल एस्टेट प्रमोटर और स्कूल में नौकरी के लिए नकद मामले के आरोपी अयान सिल के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान के दौरान पश्चिम बंगाल में विभिन्न नगर पालिकाओं में भर्ती अनियमितताओं के दस्तावेज तक पहुंच मिली.

जांच अधिकारियों ने इसकी जानकारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ को दी, जिन्होंने 21 अप्रैल, 2023 को सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को मामले की जांच करने का निर्देश दिया बाद में, उसी आदेश को पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने और उसके बाद देश की शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा.