मालदीव में राष्ट्रपति मुइज्जू ने पीएम मोदी का किया जोरदार स्वागत, जानें क्यों खास है प्रधानमंत्री की यह यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुँचे, जहाँ राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. यह यात्रा दोनों देशों के बीच हाल के तनाव के बाद रिश्तों को फिर से मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है. इस दौरे का मुख्य एजेंडा रक्षा, आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ाना है.

PM Modi Maldives Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दो दिन के दौरे पर मालदीव पहुंचे. वे माले के वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे. वहाँ मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने उनका स्वागत किया. पारंपरिक गीत-संगीत और 'वंदे मातरम' के नारों के बीच उनका जोरदार स्वागत हुआ. प्रधानमंत्री को मिले इस शानदार स्वागत से दोनों देशों के बीच बढ़ते मधुर संबंधों और सांस्कृतिक जुड़ाव का पता चलता है.

पीएम मोदी, राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के न्योते पर मालदीव गए हैं. वे वहाँ देश के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे. यह एक बड़ा कूटनीतिक संकेत है, जो दोनों देशों के गहरे होते रिश्तों को दिखाता है. आपको बता दें कि भारत उन पहले देशों में से था, जिन्होंने 1965 में मालदीव की आज़ादी को मान्यता दी और राजनयिक संबंध बनाए थे.

यह पीएम मोदी का इस दक्षिण एशियाई देश का तीसरा दौरा है. खास बात यह है कि राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के कार्यकाल में किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष की यह पहली मालदीव यात्रा है.

यात्रा का एजेंडा क्या है?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरे में पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू मिलकर इस बात की समीक्षा करेंगे कि अक्टूबर 2024 में बनी 'व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी' को लागू करने में कितनी प्रगति हुई है.

दोनों नेता इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढाँचे के विकास), रक्षा सहयोग और आर्थिक जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर भी बातचीत करेंगे.

भारत और मालदीव के बीच बहुत पुराने जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक संबंध हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' (पड़ोसी पहले) नीति और हिंद महासागर में क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले 'विजन सागर' के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दिखाती है.

इसके अलावा, पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी बहुत खास है क्योंकि यह मालदीव की आजादी की 60वीं सालगिरह के साथ-साथ भारत और मालदीव के राजनयिक संबंधों की 60वीं सालगिरह के मौके पर हो रही है. 1988 में जब मालदीव में तख्तापलट की कोशिश हुई थी, तब भारत ने तुरंत सैन्य मदद भेजकर एक गहरा भरोसा कायम किया था. बाद में भारतीय सैनिकों की तेजी से वापसी ने मालदीव की संप्रभुता को लेकर उसे आश्वस्त किया, जिससे एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में भारत की छवि और मजबूत हुई.

कैसे रहे हैं भारत-मालदीव के रिश्ते?

सालों से, नई दिल्ली और माले के बीच रिश्ते ज्यादातर करीबी, सौहार्दपूर्ण और बिना किसी राजनीतिक विवाद के रहे हैं. लेकिन रिश्तों में खटास तब आई जब मुइज़्ज़ू ने सितंबर 2023 में अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के लिए 'इंडिया आउट' का नारा इस्तेमाल किया था. हालांकि, कुछ ही महीनों में, दिसंबर 2023 में दुबई में हुए COP28 जलवायु शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी और मुइज़्ज़ू की मुलाकात के बाद रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती दिखी. वहाँ दोनों नेताओं ने आर्थिक और द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने पर सहमति जताई थी.

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