ढाका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार को बांग्लादेश की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश की आजादी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान को याद किया. ढाका के नेशनल परेड स्कवॉयर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था. पीएम मोदी ने कहा, मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं. बांग्लादेश दौरे पर पीएम मोदी ओरकांडी में मतुआ समुदाय के मंदिर और 51 शक्तिपीठों में शामिल जशोरेश्वरी काली मंदिर का करेंगे दर्शन, जानिए इनका महत्व.
राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं. आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया. पीएम ने कहा ''बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्त था. तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है.
ढाका में पीएम मोदी:
I would like to remind brothers & sisters in Bangladesh with pride, being involved in the struggle for independence of Bangladesh was one of first movements of my life. I must have been 20-22 years old when I&my colleagues did Satyagraha for Bangladesh's freedom: PM Modi in Dhaka pic.twitter.com/f6O68ldPfn
— ANI (@ANI) March 26, 2021
पीएम मोदी ने कहा, ''मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था. आजादी के समर्थन में मैंने गिरफ्तारी दी थी और जेल भी जाने का अवसर आया था.'' पीएम मोदी ने कहा, मैं आज यहां याद कर रहा हूं बांग्लादेश के उन लाखों बेटे-बेटियों को जिन्होंने अपने देश, आपनी भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी.
पीएम मोदी ने कहा मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान जी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया. वे यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे. बॉन्गोबौन्धु के हौसले ने, उनके नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को गुलाम नहीं रख सकती.