प्लाज्मा थैरेपी किन मरीजों के लिए है कारगर और बच्चों और बुजुर्गों के लिए कैसे बरते सावधानी: डॉ. ए के वार्ष्‍णेय

लखनऊ का किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय यूपी का पहला अस्पताल है, जहां पर प्लाजमा थैरेपी का प्रयोग कर कोविड मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है. वहीं दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल से रविवार को पहले ऐसे मरीज को छुट्टी मिली, जिसका उपचार प्लाजमा थैरेपी से किया गया था

कोरोना वायरस का टेस्ट (Photo Credits: IANS)

लखनऊ का किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (King George's Medical University) यूपी का पहला अस्पताल है, जहां पर प्लाजमा थैरेपी का प्रयोग कर कोविड मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है. वहीं दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital) से रविवार को पहले ऐसे मरीज को छुट्टी मिली, जिसका उपचार प्लाजमा थैरेपी (Plasma Therapy) से किया गया था. देश के कई हिस्सों में प्लाजमा थैरेपी से कोविड के मरीजों का इलाज शुरू हो चुका है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह बात भी आ रही है कि अगर ठीक हो चुके मरीज का प्लाजमा किसी स्‍वस्‍थ्‍य व्‍यक्ति को दे दें, तो वह संक्रमण से बच सकता है.

इस पर राम मनोहर लाहिया अस्‍पताल, नई दिल्ली के डॉ. ए के वार्ष्‍णेय (Dr AK Varshney) बताते हैं कि यह महज़ एक ग़लतफहमी है कि अगर कोई भी व्यक्ति प्लाज्मा अपने शरीर में लेता है तो उसे संक्रमण नही होगा. यह थैरेपी केवल उन मरीजों के लिए है, जो गंभीर रूप से बीमार हैं. किसी नॉर्मल व्‍यक्ति को प्लाज़्मा देंगे तो उसको कोई फायदा नहीं होगा. उसमें भी कोरोना के संक्रमण की उतनी ही गुंजाइश होगी, जितनी आम व्‍यक्ति में होती है.

लॉकडाउन में तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोई भी कोरोना के संक्रमण से बच सकता है। हांलाकि संक्रमित हो चुके लोगों को ठीक करने में भी डॉक्टर पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। इस बीच प्लाज्मा थैरिपी भी संक्रमितों के लिए एक नई किरण लेकर आई है. दरअसल भारत में कई जगह प्लाज्मा थैरिपी का ट्रायल हुआ और सकारात्मक परिणाम आए हैं. अब ऐसे लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की जा रही है जो लोग वायरस से संक्रमण से ठीक हो चुके हैं. यह भी पढ़े: औषधि महानियंत्रक ने कोविड-19 मरीजों पर प्लाज्मा के नैदानिक परीक्षण की इजाजत दी

धुम्रपान से कम होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

जानकारों की मानें तो कोरोना वायरस सबसे पहले गले में संक्रमण करता है और उसके बाद फेफड़े को प्रभावित करता है.. ऐसे में जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें वायरस का हमला आसानी से हो सकता है. डॉ. वार्ष्‍णेय बताते हैं कि इस वक्त किसी भी तरह का धुम्रपान शरीर के लिए बेहद हानिकारक है.धुम्रपान कतई न करें क्योंकि धुम्रपान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। यह फेफड़ों को भी खराब करता है. सिर्फ धुम्रपान करने वाले की ही नहीं बल्कि घर में अगर बच्चे और बुजुर्ग हैं तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है. इसके अलावा गुटखा आदि खाकर यहां-वहां न थूकें, क्योंकि इससे कोरोना के संक्रमण की आशंका रहती है. सरकार ने भी सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर पाबंदी लगाई है.

बच्चों और बुजुर्गों के लिए बरतें सावधानी

डॉ वार्ष्‍णेय के मुताबिक घर में अगर बच्चे और बुजुर्ग हैं तो परिवार को थोड़ा विशेष सावधानी रखनी चाहिए. 4 साल तक के बच्चों और ऐसे बुजुर्ग जिन्हें कोई पुरानी बीमारी है, उनका ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि उनकी इम्यून पावर कमजोर होती है. ऐसे घरों में अगर कोई बाहर जा रहा है तो घर में प्रवेश करने से पहले अपने आप को सेनिटाइज करे और हाथ धोए, तब तक बच्चों और बुजुर्गों के संपर्क में न आए। इसके अलावा बच्चों को बुजुर्गों से भी अलग रखें. क्योंकि अगर किसी एक को भी संक्रमण हुआ तो इम्‍यून पावर कम होने की वजह से दूसरे प्रभावित हो सकते हैं.

इस वजह से सभी को मास्क लगाना जरूरी

इन दिनों एसिम्प्टोमेटिक यानी जिनमें वायरस के लक्षण नहीं आ रहे हैं ऐसे संक्रमित को लेकर भी काफी चर्चा है. जिससे बचाव को लेकर लोग भयभीत है। ऐसे में डॉ वार्ष्‍णेय का कहना है कि वायरस स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में मुंह, नाक और कई बार आंख से प्रवेश करता है. प्रवेश करने के बाद यह सबसे पहले गले में ही रहता है. वायरस के शरीर में फैलने में करीब 4-6 दिन लग जाते हैं। लेकिन तब तक उसमें लक्षण नहीं आते. लेकिन इस बीच अगर वो कहीं थूकता है या बाहर कई लोगों के संपर्क में आता है तो वे लोग संक्रमित हो सकते हैं.इसलिए अगर लक्षण आने में देरी होती है या नहीं, लक्षण नजर आए या नहीं, सावधानी बरतनी जरूरी है. बाहर जाएं मास्क लगाएं। बाहर से आएं तो हाथ धोएं, बाहर ज्यादा देर तक रह रहें हों, तो सैनिटाइजर का प्रयोग करते रहें, ताकि अनजाने में भी हाथ से वायरस शरीर में प्रवेश न करे.

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