पेट्रोल और डीजल के नहीं बढ़े आज दाम, महानगरों में ये हैं कीमतें
पेट्रोल-डीजल (Photo Credits: File Photo)

पेट्रोल और डीजल ( petrol price ) के दाम रोज घटने से उपभोक्ताओं को मिल रही राहत का सिलसिला सोमवार को लगातार पांचवें दिन जारी रहा. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी का रुख रहने से पिछले एक महीने से ज्यादा समय से भारत में पेट्रोल और डीजल के भाव (Petrol, diesel prices) घटने का सिलसिला जारी है, जिससे वाहन चालकों व आम उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिली है. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में सोमवार को पेट्रोल के भाव क्रमश: 74.49 रुपये, 76.47 रुपये, 80.03 रुपये और 77.32 रुपये प्रति लीटर दर्ज किए गए.

चारों महानगरों में डीजल की कीमतें क्रमश: 69.29 रुपये, 71.14 रुपये, 72.56 रुपये और 73.20 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गईं. तेल विपणन कंपनियों ने सोमवार को दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल के दाम में 35 पैसे प्रति लीटर, जबकि चेन्नई में 37 पैसे प्रति लीटर की कटौती की. वहीं, डीजल कीमतों में दिल्ली और कोलकाता में 41 पैसे, जबकि मुंबई और चेन्नई में 43 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है.

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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तीन अक्टूबर के बाद ब्रेंट क्रूड के दाम में 30 फीसदी से ज्यादा जबकि अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई के भाव में करीब 33 फीसदी की कमी आई है. हालांकि, बीते सप्ताह आई भारी गिरावट के बाद कच्चे तेल के दाम में रिकवरी देखी जा रही है. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड का जनवरी डिलीवरी वायदा सोमवार को पिछले सत्र के मुकाबले 0.46 फीसदी की बढ़त के साथ 59.26 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था.

वहीं, न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज यानी नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई का जनवरी डिलीवरी वायदा अनुबंध 0.48 फीसदी की बढ़त के साथ 50.66 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. हालांकि, बाजार के जानकार बताते हैं कि कच्चे तेल के दाम फिलहाल उठाव की संभावना कम दिख रही है, जबकि इस बात की प्रबल संभावना है कि छह दिसंबर को वियना में ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज यानी ओपेक की बैठक में सउदी अरब तेल की आपूर्ति घटाने पर जोर डालेगा है.

जानकार बताते हैं कि ओपेक के सभी सदस्यों के बीच तेल का उत्पादन घटाने पर सहमति होने की संभावना कम है. वहीं, अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना रह सकता है.