Mann Ki Baat: खेल के प्रति जुनून मेजर ध्यानचंद को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि- पीएम नरेंद्र मोदी
मन की बात (File Photo)

नई दिल्ली, 29 अगस्त: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने मासिक 'मन की बात' में ओलंपिक पदक (olympic medals) विजेताओं (Winners) की सराहना की और कहा कि खेलों के प्रति जुनून मेजर ध्यानचंद (Dhyan Chand) को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा, "40 साल बाद हमने ओलंपिक में हॉकी (Hockey) में पदक जीता. आप सोच सकते हैं और कल्पना कर सकते हैं कि मेजर ध्यानचंद आज कितने खुश होंगे और खेल के प्रति जुनून मेजर को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है."प्रधानमंत्री ने कहा कि गति रुकनी नहीं चाहिए और गांवों और शहरों में खेल मैदान भरे होने चाहिए और इसे भागीदारी के माध्यम से हासिल किया जा सकता है. पीएम Narendra Modi का बड़ा ऐलान, राजीव गांधी खेल रत्न की जगह अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा खेल रत्न पुरस्कार

पीएम ने कहा, "हम सभी ध्यानचंद की जयंती मना रहे हैं. मेरा मानना है कि उन्हें नई पीढ़ी पर बहुत गर्व होता, जो चार दशकों के बाद खेल को पुनर्जीवित कर रहे हैं. "उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी बदल रही है. वे नए रास्ते बनाना चाहते हैं और युवा जोखिम लेना चाहते हैं, वे नए क्षेत्रों में स्टार्टअप बनाकर अपने सपनों को पंख देना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें भी विभिन्न प्रकार के खेलों में महारत हासिल करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए. गांव-गांव खेल प्रतियोगिताएं लगातार चलती रहनी चाहिए. आइए हम सभी इस गति को आगे बढ़ाएं, जितना हो सके योगदान दें, इसे 'सबका प्रयास' मंत्र के साथ एक वास्तविकता बनाएं.

प्रधानमंत्री ने लोगों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं भी दीं. उन्होंने कहा, "कल जन्माष्टमी है. कुछ दिन पहले, मैंने गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया. गुजरात में भालका तीर्थ भी है, जहां कृष्ण ने पृथ्वी पर अंतिम दिन बिताए थे. वहां मुझे कृष्ण के अवतारों पर एक मंत्रमुग्ध करने वाली पुस्तक मिली. "उन्होंने कहा, "मैं जदुरानी दासी जी से मिला, जिन्होंने भक्ति कला पर एक किताब लिखी थी. उनका जन्म और पालन-पोषण अमेरिका में हुआ था. वह अब इस्कॉन और हरे कृष्ण आंदोलन से जुड़ी हैं और अक्सर भारत आती रहती हैं. उन्हें भारतीय संस्कृति के लिए अपना समय समर्पित करते हुए देखना बहुत खुश करने वाला है."उन्होंने कहा, "आइए हम अपने त्योहार मनाएं.. इसके पीछे के अर्थ को समझें. इतना ही नहीं, हर त्योहार में कुछ संदेश होता है, कुछ रस्में होती हैं. हमें इसे जानना भी है, इसे जीना है और इसे विरासत के रूप में आगे बढ़ाना है.