नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, राजनयिक चैनलों से भारत में झोंक रहा नकली नोटों की खेप, आतंकियों को कर रहा है फंडिंग
भारत ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए तीन साल पहले नोटबंदी की थी लेकिन पाकिस्तान फेक इंडियन करेंसी नोट छापकर और उसकी तस्करी कर के आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहा है. पाकिस्तान जिन आतंकी समूहों को वित्तीय मदद पहुंचा रहा है उनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े संगठन शामिल हैं.
भारत (India) ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए तीन साल पहले नोटबंदी (Demonetisation) की थी लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) फेक इंडियन करेंसी नोट (FICN) छापकर और उसकी तस्करी कर के आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहा है. पाकिस्तान जिन आतंकी समूहों (Terror Groups) को वित्तीय मदद पहुंचा रहा है उनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े संगठन शामिल हैं. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान से भारी मात्रा में जाली नोट भारत में भेजे जा रहे हैं. इसके लिए पाकिस्तान 2016 के पहले का सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें गैंग्स और उनके सिंडिकेट, चैनल्स और रूट्स शामिल हैं.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि नकली नोटों की खेप को लाने और वितरित करने के लिए पाकिस्तान नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में राजनयिक चैनलों का दुरुपयोग कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई पहले वाली फोटोकॉपी नोटों की तुलना में अच्छी गुणवत्ता के नकली नोट तैयार कर रहा है. यह भी पढ़ें- Fake Indian Currency Notes: ISI और D-Company पूर्वी भारत के रास्ते फैला रहे हैं नकली नोट का जाल.
मई 2019 में डी कंपनी से जुड़े यूनुस अंसारी और तीन अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को काठमांडू एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से साढ़े सात करोड़ के नकली भारतीय नोट बरामद किए गए थे. गौरतलब है कि पाकिस्तान से भारत में झोंके जा रहे दो हजार रुपये के नए नोट की ताजा खेप की जब्ती ने हिंदुस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है.
इस खेप में सप्लाई किए जा रहे 2000 रुपये के नोट में पाकिस्तानी तंत्र ने उन सभी सुरक्षा इंतजामों की हू-ब-हू नकल कर ली, जो बिना सरकारी मदद के मुमकिन नहीं है. बताते चलें कि वित्त मंत्रालय ने इसी साल फरवरी महीने में बताया था कि साल 2018 में 500 रुपये के 23,146 नए जाली नोट बरामद किए गए जबकि 2017 में यह संख्या 8879 थी.
एएनआई इनपुट