अन्ना हजारे का बड़ा खुलासा, कहा- साजिश के तहत उन्हें मारने की सुपारी दी गई थी

अन्ना हजारे के नाम से चर्चित समाजसेवी किसन बाबूराव हजारे ने केंद्रीय जांच एजेंसी की एक विशेष अदालत में मंगलवार को कहा कि उस्मानाबाद में टेरना चीनी कारखाने में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के चलते उनके नाम की सुपारी दी गई थी

वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे (Photo Credtis ANI)

मुंबई: अन्ना हजारे (Anna Hazare) के नाम से चर्चित समाजसेवी किसन बाबूराव हजारे ने केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की एक विशेष अदालत में मंगलवार को कहा कि उस्मानाबाद में टेरना चीनी कारखाने में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के चलते उनके नाम की सुपारी दी गई थी. विशेष न्यायाधीश आनंद यावलकर के समक्ष कांग्रेस नेता पवन राजे निंबालकर (Pawan Raje Nimbalkar) की हत्या के मुकदमे में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में हजारे ने कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से मौत की धमकी के बारे में पता चलने के बाद, उन्होंने अहमदनगर के परनेर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

साल 2006 में अपने चचेरे भाई निंबालकर की सनसनीखेज हत्या के मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री और राकांपा नेता पदमसिंह पाटिल उस्मानाबाद स्थित चीनी कारखाने से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में टेरना पब्लिक चैरिटी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. हजारे ने कहा कि शिकायत दर्ज करने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अपनी जान के जोखिम के बारे में सूचित किया था, लेकिन पाटिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के रिश्तेदार हैं, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. हजारे ने कहा कि धमकियों के विरोध में उन्होंने अपना पद्मश्री और वृक्षमित्र सम्मान लौटा दिया और इसके बाद उन्होंने अनशन किया. यह भी पढ़े: अन्ना हजारे बोले, गोली की जगह बातचीत से सुलझाया जा सकता है नक्सलियों का मुद्दा, सरकार चाहे तो वे मध्यस्थता को तैयार

उन्होंने कहा कि बाद में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग की नियुक्ति की. कुछ समय बाद मामले के एक आरोपी ने एक बयान दिया था, जिसमें उसने सामाजिक कार्यकर्ता को खत्म करने की साजिश के बारे में विवरण दिया था. 82 साल के हजारे ने टेरना चीनी कारखाने में चल रहे कथित भ्रष्टाचार का पदार्फाश किया था, जिसके बाद से पाटिल उनसे नाराज थे.हजारे ने विशेष अदालत से कहा, "पाटिल ने मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और मुझ पर मामले में अपनी शिकायतें वापस लेने के लिए दबाव डाला. उन्होंने बताया, "एक बार जब उनके आदमी मेरे कार्यालय में आए, तो उन्होंने मुझे एक खाली चेक दिया और मुझे कोई भी आंकड़ा लिखने के लिए कहा, जिसके लिए मैंने एक अलग शिकायत दर्ज कराई है."

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