Maharashtra: दशहरा रैली में जमकर हुई सियासी बयानबाजी, एक दूसरे पर खूब बरसे उद्धव ठाकरे और सीएम शिंदे
महाराष्ट्र में बुधवार को भी दशहरा के जश्न के बीच उद्धव गुट और शिंदे गुट में जमकर राजनीतिक बयानबाजी हुई. एक तरफ उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा तो वहीं दूसरी तरफ शिंदे ने भी उद्धव पर जमकर पलटवार किया.
मुंबई: महाराष्ट्र में बुधवार को भी दशहरा के जश्न के बीच उद्धव गुट और शिंदे गुट में जमकर राजनीतिक बयानबाजी हुई. एक तरफ उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा तो वहीं दूसरी तरफ शिंदे ने भी उद्धव पर जमकर पलटवार किया. दोनों ने ही अपने-अपने दशहरा आयोजन के दौरान एक दूसरे पर हमले बोले. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने दादर के शिवाजी पार्क में तो वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने BKC मैदान में दशहरा रैली का आयोजन किया.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा, ' उनका विद्रोह ‘विश्वासघात’ कतई नहीं था, बल्कि एक ‘बगावत’ थी. उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के आदर्शों के खिलाफ जाने और कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन करने के लिए उनके (बाल ठाकरे के) स्मारक पर घुटने टेकने और माफी मांगने को कहा.
शिंदे ने दशहरे के अवसर पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के एमएमआरडीए मैदान में एक महारैली को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में मतदाताओं ने 2019 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना और भाजपा को चुना, लेकिन उद्धव ठाकरे ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाकर राज्य की जनता को ‘धोखा’ दिया. उन्होंने कहा कि उनकी दशहरा रैली में भारी भीड़ यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि बाल ठाकरे की विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी कौन हैं.
उद्धव ठाकरे ने शिंदे को बताया गद्दार
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों पर तीखा हमला करते हुए बुधवार को कहा कि उन (शिंदे) पर लगा 'गद्दार' का धब्बा कभी नहीं धुलेगा. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जैसे जैसे समय बदलता है, रावण का चेहरा भी बदल जाता है. आज, ये गद्दार (रावण के रूप में) हैं. जब मैं अस्वस्थ था और मेरी सर्जरी हुई थी, तो मैंने उन्हें (शिंदे को) जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उन्होंने यह सोचकर मेरे खिलाफ साजिश रची कि मैं (शायद) फिर कभी पैरों पर खड़ा नहीं हो पाऊंगा.’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सत्ता की लालसा की एक सीमा होती है..विश्वासघात करने के बाद, वह अब पार्टी का चुनाव चिह्न भी चाहते हैं और पार्टी अध्यक्ष भी कहलाना चाहते हैं.’’ ठाकरे ने कहा, ‘‘मैं अपने माता-पिता की कसम खाकर कहता हूं कि यह तय किया गया था कि भाजपा और शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करेंगे.’’