Orissa High Court On False Cases And Misuse Section 498A: उड़ीसा हाई कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान आईपीसी की धारा 498-A के दुरुपयोग (Misuse of IPC section 498 A) को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी में विवाद के बाद ससुराल वालों को सबक सिखाने के लिए कानून का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. पति के परिवार को फंसाने के लिए पत्नियां धारा 498A का गलत इस्तेमाल करती हैं.
सास-ससुर के खिलाफ कानून का दुरुपयोग
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने महिला के खिलाफ उसके भाई की पत्नी द्वारा शुरू किए गए क्रूरता के एक मामले को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति जी सतपथी ने भाभी के खिलाफ कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि धारा 498ए के तहत पत्नी के प्रति क्रूरता के अपराध का अक्सर पति के परिवार पर दबाव बनाने के लिए सास-ससुर के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है. कोर्ट ने तुच्छ मुद्दों पर जुनून की गर्मी में दायर किए जा रहे क्रूरता के मामलों पर भी चिंता व्यक्त की. ये भी पढ़ें- HC on Nudity: न्यूड होने का मतलब हमेशा अश्लीलता नहीं, केरल हाईकोर्ट ने अर्द्धनग्न शरीर पर पेटिंग मामले में महिला को किया बरी
क्या है 498 A
IPC की धारा 498 ए शादीशुदा महिला के साथ ससुराल में क्रूरता के मामले में लगाई जाती है. दहेज उत्पीड़न और दहेज के लिए हत्याओं के मामलों को देखते हुए 1983 में आईपीसी में धारा 498ए शामिल की गई थी. ये एक गैरजमानती धारा है.
498 A- ऐसा कृत्य जो महिला को आत्महत्या के लिए उकसाता हो या उसकी जान के लिए खतरा हो या उसे गंभीर चोट पहुंचाता हो या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा हो
498 A- महिला से प्रॉपर्टी या मूल्यवान चीजों की गैरकानूनी डिमांड करना और मांग पूरी न होने पर उसका उत्पीड़न करना