उत्तर प्रदेश की सरकार को वाराणसी में गंगा घाट पर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों लगाए गए टैक्स का फैसला पीछे ले लिया है. दरअसल इस फैसले के बाद जैसे इसका विरोध शुरू हुआ. उसके बाद राज्य सरकार को बैकफुट आना पड़ गया. सरकार के इस फैसले के बाद से पंडा समाज को धार्मिक काम पर टैक्स देने के आदेश से राहत मिल गई है. उत्तर प्रदेश के संस्कृति और धर्मार्थ राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने घाट टैक्स के फैसले को तुरंत रोक लगाने के निर्देश दिया है. इस फैसले से पहले उन्होंने वाराणसी के कमिश्नर और नगर आयुक्त से इस मसले पर बात की जिसके बाद निर्णय लिया गया.
डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने ने कहा कि टैक्स को लेकर पंडा समाज को किसी प्रकार की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि घाट के पंडा समाज को कोई भी टैक्स नहीं लिया जाएगा. ता दें कि उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों पर कराए जा रहे कर्मकांड पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा टैक्स लगाए जाने का अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने कड़ा विरोध किया था. अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रनाथ चकहा मधु ने कर्मकांड पर टैक्स लगाए जाने के खिलाफ मरते दम तक लड़ाई की जाएगी. कर्मकांड आस्था का प्रतीक है और यात्री हजारों किलोमीटर दूर से आकर तीर्थ स्थल पर अपने पुरोहितों के माध्यम से धार्मिक कार्य संपन्न कराते हैं. राज्य सरकार का टैक्स लगाने का निर्णय सरासर अन्यायपूर्ण है.
अंग्रेजों और मुगलों के शासन में भी कभी इस तरह से कर्मकांड पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया जबकि हिंदुओं के हित की बात करने वाली यह सरकार हिंदुओं के कर्मकांड पर टैक्स लगा रही है. शायद यही कारण था कि बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया. (भाषा इनपुट)