ऑपरेशन सिंदूर में देसी टेक्नोलॉजी का कमाल! व्हाट्सएप की जगह सेना ने इस्तेमाल किया स्वदेशी 'संभव' फोन

भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान जासूसी के खतरे से बचने के लिए व्हाट्सएप जैसे विदेशी ऐप्स का इस्तेमाल बंद कर दिया. इसकी जगह सेना ने पूरी तरह सुरक्षित और भारत में बने 'संभव' (SAMBHAV) फोन का उपयोग किया. यह कदम सैन्य संचार को सुरक्षित करने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी सफलता है.

(Photo Credit: X)

भारतीय सेना ने हाल ही में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो देश की सुरक्षा और टेक्नोलॉजी में एक नया अध्याय लिख रहा है. एक बहुत ही महत्वपूर्ण और खुफिया मिशन, 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान, हमारे जवानों ने जासूसी के खतरे से बचने के लिए व्हाट्सएप (WhatsApp) जैसे विदेशी ऐप को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. इसकी जगह सेना ने अपने खुद के बनाए हुए, पूरी तरह से सुरक्षित 'संभव' (SAMBHAV) फोन का इस्तेमाल किया.

यह कदम दिखाता है कि भारत अब अपनी सुरक्षा के लिए किसी दूसरे देश की तकनीक पर निर्भर नहीं रहना चाहता.

आखिर यह 'ऑपरेशन सिंदूर' था क्या?

इस साल मई 2025 में भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था. यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें पाकिस्तान से आए आतंकियों ने 26 पर्यटकों की जान ले ली थी. इस हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर (PoK) में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे एक 'ग्रे जोन' ऑपरेशन बताया, जिसका मतलब है कि यह एक पूरी तरह से युद्ध तो नहीं था, लेकिन युद्ध से कम भी नहीं था. इस ऑपरेशन की सबसे खास बात यह थी कि इसमें हमारी थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों ने मिलकर एक साथ 'सिंदूर' कोडनेम के तहत काम किया.

हीरो बना 'संभव' फोन

अब सवाल उठता है कि इस खुफिया ऑपरेशन में बातचीत कैसे हुई? यहीं पर हीरो बनकर सामने आया 'संभव' (SAMBHAV) फोन. इसका पूरा नाम है - Secure Army Mobile Bharat Version.

यह कोई मामूली फोन नहीं है. इसे खास तौर पर भारतीय सेना के लिए भारत में ही बनाया गया है. यह लेटेस्ट 5G टेक्नोलॉजी पर काम करता है और इसमें इतनी तगड़ी सुरक्षा परतें (Multi-layer Encryption) हैं कि इसे हैक करना या इसकी बातें सुनना लगभग नामुमकिन है.

व्हाट्सएप को क्यों छोड़ा गया?

पहले सेना के अधिकारी बातचीत के लिए व्हाट्सएप जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करते थे. लेकिन इन विदेशी ऐप्स से हमेशा जासूसी और हमारी खुफिया जानकारी लीक होने का खतरा बना रहता था. दुश्मन देश आसानी से हमारे नेटवर्क को हैक करके हमारी योजनाओं का पता लगा सकते थे. 'संभव' फोन ने इसी खतरे को जड़ से खत्म कर दिया. यह पूरी तरह से सुरक्षित है और हमारी सेना को किसी विदेशी ऐप पर निर्भर नहीं रहने देता.

'संभव' फोन की कुछ खास बातें:

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान कमांडरों से लेकर जवानों तक, सभी ने बातचीत और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए 'संभव' फोन का ही इस्तेमाल किया. इससे ऑपरेशन को गुप्त रखने और तेजी से काम करने में बहुत मदद मिली.

संक्षेप में, 'संभव' फोन सिर्फ एक डिवाइस नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर और शक्तिशाली भारत का प्रतीक है. इसने साबित कर दिया है कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो भारत अपनी तकनीक पर भरोसा कर सकता है.

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