भारत में बीते कुछ दिनों से कोरोना के नए मामलों की सख्या 30 हजार के आस-पास बनी हुई है. वहीं रिकवरी रेट भी 98.50 प्रतिशत हो गया है. यानी संक्रमित होने वालों में से 98 प्रतिशत लोग अब ठीक हो रहे हैं. शायद इसी वजह से बाज़ारों में, और सार्वजनिक वाहनों में भीड़ दिखने लगी है. शादियों में सोशल डिस्टेंसिंग ताक पर रखी हुई हैं, मास्क नाक-मुंह पर कम, गर्दन पर ज्यादा दिखता है. अगर आप भी इस ट्रेंड का हिस्सा हैं, और यह सोच रहे हैं तो एक नज़र दुनिया के विभिन्न देशों पर उठाकर जरूर देख लीजिए. हाल यह है कि अमेरिका (America), रूस (Russia), तुर्की (Turkey), जापान (Japan) और जर्मनी (Germany) में पहले के मुकाबले चार गुना ज्यादा मामले हर रोज़ आ रहे हैं. जर्मनी ने अधिकांश दुकानें बंद करने का निर्णय तक ले लिया है.
सितम्बर बनाम दिसम्बर
- भारत में जहां 85 से 97 हजार के बीच मामले आ रहे थे, वर्तमन में यहां आंकड़े 30 हजार के करीब हैं.
- जर्मनी में सितम्बर में जहां मात्र डेढ़ हजार मामले आ रहे थे, बीते एक सप्ताह में यह संख्या 28 हजार तक पहुंच गई है.
- अमेरिका में सितम्बर में आंकड़ा 40 हजार के पास था, दिसम्बर में 2 लाख के करीब केस प्रति दिन आ रहे हैं. 11 दिसंम्बर को सर्वाधिक 2.47 लाख केस आये.
- रूस में सितम्बर में चार से पॉंच हजार केस आये, बीते एक सप्ताह से संख्या 25 हजार से ऊपर बनी हुई है.
- तुर्की में सितम्बर में प्रति दिन 4 हजार मामले आ रहे थे, 26 नवम्बर के बाद से अभी तक हर रोज़ 30 हजार के करीब मामले आ रहे हैं.
- यूके (UK) में सितम्बर की शुरुआत में 3 हजार के आस-पास मामले थे, आज 15 से 18 हजार प्रति दिन मामले आ रहे हैं.
- स्वीडन में जहां तब मात्र 200 से 300 केस प्रति दिन आ रहे थे, वर्तमान में वहां आंकड़े 6 हजार को छू रहे हैं.
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वहीं कई देशों में मौतों की संख्या भी बढ़ने लगी है, जिसमें अमेरिका नम्बर 1 पर है. अमेरिका में सितम्बर में जहां 500 से 1 हजार तक मौतें प्रति दिन हो रही थीं, वहीं बीते तीन-चार दिनों में 2 से 3 हजार तक मौतें हर रोज़ हो रही हैं. यानी स्थिति लगातार बिगड़ रही है.
जरा सोचिए, सर्दी बढ़ने के साथ-साथ भारत में भी अगर यही ट्रेंड आ गया और प्रति दिन मामले सितम्बर की तुलना में 3 से 4 गुना न सही, दुगने भी हो गये, तो प्रति दिन 2 लाख मामले देखने को मिल सकते हैं. यानी इस वक्त भी सतर्कता बेहद जरूरी है.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली (New Delhi) के चिकित्सक डॉ. राजेंद्र के धमीजा (Dr. Rajendra K. Dhanija) ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा, "ऐसा कतई मत सोचें कि मामले कम आ रहे हैं, तो सब ठीक है. दूसरे देशों की तुलना में भले ही हमारे यहां नए मामले कम हुए हैं, रिकवरी रेट भी बढ़ा है, लेकन अमेरिका, कनाडा और कई यूरोपीय देशों में नए मामले फिर बढ़ने लगे हैं. वहां प्रति दिन मामलों की संख्या पहले की तुलना में चार से पॉंच गुना अधिक है. वहीं मृत्यु दर भी कई देशों में बढ़ी है. ध्यान रहे, महामारी अभी खत्म नहीं हुई है. हमारे देश में कोरोना नियंत्रित है, लेकिन बीमारी के प्रति हम उतने ही संवेदनशील अभी भी हैं, जितना पहले थे.
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उन्होंने आगे कहा कि यह कतई मत सोचिए कि वायरस का असर कम हो गया है. बीमारी चाहे एक व्यक्ति को हो या कई लोग इसकी चपेट में आये, इससे जान का खतरा सभी को है. यह बीमारी मामूली बीमारी नहीं है. कुछ लोगों को हल्के लक्षण आ सकते हैं, लेकिन कुछ में यह गंभीर रूप धारण कर सकती है. तीनों बातों का ध्यान हमेशा रखना है, यह नहीं कि हाथ धो लिए तो मास्क नहीं लगाया, मास्क लगा लिया तो दूरी नहीं बनायी, तीनों काम एक साथ करने हैं. जब तक बहुत जरूरी नहीं हो, तब तक घर से बाहर मत जायें.