नीट पीजी की परीक्षा को परीक्षा शुरु होने के सिर्फ कुछ घंटे पहले टालने की घोषणा की गई. नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी, यूजीसी-नेट परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद यह एक नया विवाद है, जिसे लेकर छात्रों में काफी गुस्सा है.परीक्षा में गड़बड़ियों के मामले पर पूरे भारत में बवाल मचा हुआ है. 23 जून यानी रविवार को होने जा रही नीट पीजी परीक्षा को एहतियात के तौर पर टालने के अचानक आए फैसले के बाद परीक्षा में बैठने जा रहे छात्र काफी चिंतित हैं. परीक्षा से सिर्फ कुछ घंटे पहले ही इसे टाले जाने की सूचना जारी की गई. नीट पीजी परीक्षा को लेकर कोई नई तारीख भी नहीं बताई गई है. जिसके बाद छात्रों के साथ, डॉक्टरों के एसोसिएशन और विपक्षी पार्टियों ने भी चिंता जताई है. नीट पीजी की पूरे भारत में करीब 52 हजार सीटें हैं, जिनके लिए हर साल करीब 2 लाख एमबीबीएस ग्रेजुएट परीक्षा में बैठते हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में शनिवार को बीजेपी पर हमला बोला. नीट पीजी परीक्षा को टाले जाने पर उन्होंने कहा, "यह एक और दुखद मिसाल है कि शिक्षा व्यवस्था बर्बाद हो चुकी है." वहीं नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोप के बाद रविवार को 1500 से ज्यादा छात्रों को फिर से परीक्षा देनी पड़ रही है. नीट यूजी की परीक्षा 5 मई को कराई गई थी. इसमें कथित गड़बड़ियों, नकल, पेपर लीक होने और दूसरों के स्थान पर पेपर देने के आरोप में कई मामले दर्ज किए गए थे.
आखिर बिना गड़बड़ी के क्यों नहीं हो पा रही हैं प्रतियोगी परीक्षाएं?
सीबीआई करेगी नीट में गड़बड़ी की जांच
1500 से ज्यादा छात्र जो फिर से नीट यूजी परीक्षा दे रहे हैं, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से इन्हें अलग-अलग वजहों से ग्रेस मार्क दिए जाने की बात कही गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एनटीए ने छात्रों को मिले ग्रेस मार्क खारिज करने और इनकी फिर से परीक्षा कराए जाने की बात कही थी. भारत की मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक बहुत से छात्र फिर से परीक्षा और टाली गई काउंसिलिंग का विरोध कर रहे हैं. गुजरात के राजकोट में छात्र फिर से परीक्षा कराए जाने के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं.
परीक्षाओं को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच केंद्र सरकार की ओर से मेडिकल इंट्रेंस परीक्षा, नीट में गड़बड़ियां सामने आने के बाद कई कदम उठाए गए हैं. सरकार ने नीट में गड़बड़ियों की जांच शनिवार रात सीबीआई को सौंपे जाने की घोषणा की. इसके अलावा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के निदेशक सुबोध सिंह को भी उनके पद से हटा दिया गया है. सरकार की ओर से इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक सात-सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो परीक्षा सुधार पर काम करेगी.
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर लगाम कस रहे हैं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन
परीक्षा में गड़बड़ी से जुड़ा कड़ा कानून लागू
पिछले हफ्ते नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित यूजीसी नेट की परीक्षा का पेपर डार्कनेट पर लीक होने की सूचना के बाद, नेट की परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया था. अब शुक्रवार को केंद्र सरकार ने लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को अधिसूचना जारी की थी. इस कानून में पेपर लीक और नकल के अपराध में कड़ी सजाओं का प्रावधान है.
कानून शुक्रवार से प्रभावी हो गया है. कानून के तहत, अगर किसी को पेपर लीक या उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम तीन साल जेल की सजा होगी. अपराध के मामले में अधिकतम 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. कानून के मुताबिक इस तरह के सारे अपराध दंडनीय और गैर-जमानती होंगे.
इस नए कानून के मुताबिक परीक्षा से जुड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है. अगर कोई अधिकारी, जिसे संभावित अपराध की जानकारी हो लेकिन उसने शिकायत नहीं की तो उस पर अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा उसे 3 साल से 10 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है. यह अधिनियम फरवरी में संसद के दोनों सदनों में पास हुआ था. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस पर फरवरी में ही हस्ताक्षर कर दिए थे.
रिपोर्टः अविनाश द्विवेदी