Gangster Act on Single FIR, 27 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर किसी आरोपी पर पहली बार केस दर्ज होता है और वह अपराध में शामिल पाया जाता है तो भी उसपर गैंगस्टर और एंटी-सोशल एक्टीविटी प्रीवेंशन एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. इस फैसले के आने के बाद बदमाशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 6 साल से नहीं बढ़ी सैलरी, तो कोर्ट के कर्मचारियों ने चीफ जस्टिस से कर दी शिकायत, कहा- जरूरी चीजों की कीमतें असमान पर पहुंच गई लेकिन..
महिला द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि जिस आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उसका कोई आपराधिक बैकग्राउंड नहीं है. सिर्फ एक FIR या चार्जशीट के आधार पर उसे गैंगस्टर नहीं माना जा सकता है.
सुनवाई के दौरान राज्य ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सिर्फ एक रिपोर्ट/चार्जशीट दायर होने पर भी गैंगस्टर एक्ट की धारा 2(बी) में लिस्टेड एंटी-सोशल एक्टिविटीज़ के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम 1999 और गुजराज आतंकवाद और संगठित अपराध अधिनियम, 2015 की तरह गैंगस्टर एक्ट 1986 में ऐसा कोई स्पेशल प्रोवीजन नहीं है कि किसी आरोपी पर केस चलाते समय, दो या उससे ज्यादा FIR/ चार्जशीट दर्ज होना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि अगर किसी आरोपी पर पहली बार केस दर्ज होता है और वह अपराध में शामिल पाया जाता है तो भी उसपर यूपी गैंगस्टर्स और एंटी-सोशल एक्टीविटी प्रीवेंशन एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. भले ही उस पर सिर्फ एक अपराध, FIR या आरोप पत्र दाखिल किया गया हो.