दिल्ली में अब बीजेपी मुख्यालय के करीब ही होगा कांग्रेस मुख्यालय
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

करीब पांच दशक पुराने कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय का पता अब बदल जाएगा. दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय के ही पास अब कांग्रेस मुख्यालय बनकर तैयार हो गया है, जिसका उद्घाटन 15 जनवरी को होगा. जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक पहलू.24 अकबर रोड, नई दिल्ली-11.

यह पता है भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का. लेकिन 15 जनवरी से यह पता बदल जाएगा और कांग्रेस पार्टी का नया मुख्यालय होगा 9ए कोटला रोड, नई दिल्ली. पार्टी ने मुख्यालय के छह मंजिला इस नए भवन का नाम रखा है इंदिरा गांधी भवन.

कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के मुताबिक, पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी 15 जनवरी को इस नई इमारत का उद्घाटन करेंगी. डीडब्ल्यू से बातचीत में केसी वेणुगोपाल ने बताया, "15 जनवरी, 2025 को सुबह 10 बजे, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी नए एआईसीसी मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन का उद्घाटन करेंगी. इस इमारत का निर्माण तभी शुरू हुआ था जब सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष थीं. 9ए कोटला मार्ग पर इंदिरा गांधी भवन को पार्टी और उसके नेताओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है.”

वेणुगोपाल ने बताया कि उद्घाटन समारोह में कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी के सदस्य, कांग्रेस संसदीय दल के पदाधिकारी, एआईसीसी पदाधिकारी, केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख, सीएलपी नेता, सांसद, वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित करीब चार सौ वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे.

इस नये परिसर में कांग्रेस के विभिन्न फ्रंटल संगठन, जैसे- महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के भी दफ्तर स्थानांतरित किए जाएंगे. अब 26 अकबर रोड पर बने कांग्रेस सेवा दल के दफ्तर और 5 रायसीना रोड पर बने एनएसयूआई के दफ्तर को भी इसी नए इंदिरा भवन में ही शिफ्ट कर दिया जाएगा.

कांग्रेस पार्टी के नए दफ्तर की इस इमारत का शिलान्यास साल 2009 में तब हुआ था जब केंद्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं. लेकिन इसके निर्माण में 15 साल क्यों लग गए, यह भी बड़ा सवाल है. इस देरी की मुख्य वजह संसाधनों की कमी को बताया जा रहा है, ये अलग बात है कि 2009-2014 तक केंद्र में यूपीए सरकार थी और तमाम राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी की सरकारें थीं.

कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय की इस नई इमारत का पता 9ए कोटला मार्ग जरूर है लेकिन इसे जमीन का आवंटन उसी दीनदयाल मार्ग पर हुआ है जहां भारतीय जनता पार्टी का मुख्यालय है, लेकिन पार्टी ने अपने मुख्य प्रवेश द्वार को कोटला मार्ग पर बनाया है ताकि दफ्तर का पता यही रहे. भारतीय जनता पार्टी का मुख्यालय साल 2018 में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर बनी नई इमारत में शिफ्ट हुआ था जो कि एक आलीशान और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है. बीजेपी का मुख्य द्वार दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर खुलेगा, जिसका पता 6, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग है जबकि कांग्रेस ने तय किया है कि उसका मुख्य द्वार कोटला रोड पर होगा और उसका पता होगा 9ए, कोटला रोड.

वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह लंबे समय से कांग्रेस पार्टी को कवर करते रहे हैं और कांग्रेस के इतिहास पर लिखते रहे हैं. वो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के लोग दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर ही अपने मुख्यालय का दफ्तर चाहते थे क्योंकि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का दफ्तर भी यहीं है, लेकिन बीजेपी का मुख्यालय यहां पहले बन गया और आरएसएस से जुड़े तमाम संगठनों के दफ्तर भी इसी रोड पर हैं इसलिए कांग्रेस पार्टी ने कोटला रोड को अपना नया पता बनाया है.

डीडब्ल्यू से बातचीत में अरविंद कुमार सिंह कहते हैं, "दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का दफ्तर पहले से यहां था इसलिए पार्टी के लोग मुख्यालय भी यहां बनाना चाहते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जब अनंत कुमार शहरी विकास मंत्री थे, तब इस रोड पर आरएसएस के संगठनों को 22 दफ्तर आवंटित कर दिए गए थे. एक तरह से उस जगह को बीजेपी ने तभी से आरक्षित कर लिया था. फिर जब साल 2009 में पार्टियों के लिए जगह का आवंटन हुआ तो बीजेपी को भी वहीं जमीन मिल गई दफ्तर बनाने के लिए. हालांकि नेहरू के समय जब कांग्रेस पार्टी के लिए नई दिल्ली में दफ्तर की जगह तलाश की जा रही थी तब इसी जगह को प्राथमिकता दी गई थी. इसका बड़ा कारण यह था कि यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक है और उस समय दूर-दराज से आने वाले ज्यादातर लोग ट्रेन से ही आते-जाते थे.”

24 अकबर रोड पर कांग्रेस पार्टी का दफ्तर 1978 में उस वक्त शिफ्ट हुआ था जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी. इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पार्टी लोकसभा का चुनाव हार गई थी और तमाम नेता पार्टी छोड़कर जा रहे थे. साल 1977 में इमरजेंसी के बाद जब चुनाव हुए, कांग्रेस पार्टी हार गई तो कांग्रेस पार्टी एक बार फिर टूट गई. उन्हीं परिस्थितियों में इंदिरा गांधी ने जनवरी 1978 में पार्टी के दफ्तर को यहां शिफ्ट किया. ये दिल्ली के लुटियंस इलाके का टाइप 7 बंगला था, जो उस वक्त आंध्र प्रदेश से राज्यसभा के सांसद जी वेंकटस्वामी के नाम पर आवंटित था.

क्या इंडिया गठबंधन में अकेली पड़ गई है कांग्रेस

24 अकबर रोड का यह बंगला उससे पहले भी काफी अहम जगह हुआ करती थी. इंडियन एयरफोर्स के चीफ का घर होने के अलावा यहां इंटेलिजेंस ब्यूरो की पॉलिटिकल सर्विलांस विंग का ऑफिस भी हुआ करता था और उससे भी पहले इसे बर्मा हाउस के नाम से जाना जाता था. इस घर का यह नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था क्योंकि इसी बंगले में म्यांमार की भारत में राजदूत डॉक्टर खिन काई अपनी बेटी आंग सान सू ची के साथ रहने आईं थीं.

लेकिन कांग्रेस पार्टी के दफ्तर के लिए इस बंगले का चुनाव करने के पीछे एक कारण यह भी था कि इसी से जुड़ा हुआ 10 जनपथ का भी बंगला है जो उस वक्त इंडियन यूथ कांग्रेस का दफ्तर हुआ करता था. यही 10 जनपथ बाद में सोनिया गांधी का आवास बना और अभी भी यह उनका आवास है.

24 अकबर रोड को कांग्रेस का मुख्यालय भले ही विपरीत परिस्थितियों में बनाया गया था लेकिन यह इमारत कांग्रेस पार्टी और इंदिरा गांधी के लिए काफी भाग्यशाली साबित हुई क्योंकि 1980 के चुनाव में भारी बहुमत से कांग्रेस पार्टी की सत्ता में फिर वापसी हुई. यह दफ्तर देश के चार प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के अलावा सात पार्टी अध्यक्षों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हाराव, सीताराम केसरी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यकाल का गवाह रह चुका है.

वैसे दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का पहला दफ्तर जंतर-मंतर रोड पर था. अरविंद कुमार सिंह बाते हैं, "आजादी के बाद कांग्रेस ने अपना दफ्तर जब इलाहाबाद से दिल्ली शिफ्ट किया तो यह नया मुख्यालय 7 जंतर-मंतर रोड था. यह भवन साल 1969 तक कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय रहा. लेकिन 1969 में कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंट गई और फिर दफ्तर भी यहां से चला गया. हुआ यह कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने और वीवी गिरी के राष्ट्रपति चुने जाने के मुद्दे पर इंदिरा गांधी और कांग्रेस के पुराने नेताओं के बीच जबर्दस्त विवाद हुआ और यह विवाद इतना बढ़ा कि पार्टी ही दो हिस्सों में टूट गई. पुराने नेताओं की पार्टी हुई कांग्रेस (ओ), जिसका मुख्यालय 7 जंतर-मंतर ही रहा जबकि इंदिरा गांधी ने अपनी पार्टी का नाम रखा कांग्रेस (आर). अब इंदिरा गांधी को एक नए दफ्तर की जरूरत थी. तो कांग्रेस के पुराने नेता और नेहरू मंत्रिमंडल के सदस्य रहे एमवी कृष्णप्पा के घर विंडसर प्लेस को इंदिरा गांधी ने अपनी पार्टी के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया.”

साल 1971 में पार्टी का दफ्तर 5 राजेंद्र प्रसाद रोड पर शिफ्ट हो गया और लेकिन साल 1977 में इमरजेंसी के बाद जब चुनाव हुए और कांग्रेस पार्टी में एक बार और टूट हुई तो इंदिरा गांधी ने जनवरी 1978 में पार्टी मुख्यालय को 24 अकबर रोड पर शिफ्ट कर दिया और तब से लेकर यह अब तक पार्टी का मुख्यालय है.

हालांकि कांग्रेस पार्टी का पहला दफ्तर तो इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरू का घर ही था जो स्वराज भवन के रूप में लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय रहा. मोतीलाल नेहरू जाने-माने वाकील और कांग्रेस के बड़े नेता थे. उन्होंने इलाहाबाद के चर्चलेन में एक बड़ा बंगला बनवाया जिसका नाम आनंद भवन रखा. कांग्रेस के नेताओं का उस घर में आना-जाना रहा और एक तरह से वह राजनीतिक गतिविधियों और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों का एक केंद्र बन गया. साल 1930 में मोतीलाल नेहरू ने उसके पास में ही एक और घर बनवाया. अब पुराने घर का नाम बदलकर स्वराज भवन कर दिया गया और जो नया घर बना उसे आनंद भवन का नाम दिया गया. स्वराज भवन कांग्रेस पार्टी के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल होने लगा और आनंद भवन में नेहरू परिवार रहने लगा.

अरविंद कुमार सिंह बताते हैं, "नमक सत्याग्रह के दौरान मोतीलाल नेहरू ने यह बंगला गांधी जी को समर्पित कर दिया था. आजादी के आंदोलन के दौरान यही स्वराज भवन कांग्रेस का मुख्यालय रहा और कांग्रेस वर्गिंक कमिटी की तमाम बैठकें यहीं होती रहीं. देश की आजादी तक यही कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय रहा. यही नहीं, राममनोहर लोहिया, जेबी कृपलानी जैसे तमाम नेता यहां लंबे समय तक रहे भी. स्वराज भवन में आजादी के इतिहास के एक बड़े और महत्वपूर्ण कालखंड को समेटे हुए है.”