नई दिल्ली, 17 जनवरी : ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने मंगलवार को कहा कि एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना का उत्तराखंड के जोशीमठ कस्बे में हो रही जमीन धंसने की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है, समस्या इलाके की जमीन को लेकर है. उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में चल रही जलविद्युत परियोजनाओं की समीक्षा से भी इंकार किया. चल रहे दावोस डब्ल्यूईएफ बैठक के मौके पर एक मीडिया आउटलेट को दिए इंटरव्यू में सिंह ने आगे कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निर्माण पर बढ़ती चिंताओं के बावजूद देश में जलविद्युत परियोजनाओं को नहीं रोका जाएगा.
मंत्री ने कहा कि जोशीमठ में समस्या का पता 1975 में चला था और अगले साल शीर्ष भूवैज्ञानिकों की एक समिति गठित की गई, जिसने पाया कि शहर एक अनियोजित बस्ती थी जो एक भूस्खलन पर बनी थी और नीचे की जमीन में चट्टानों के बजाय बजरी थी. 2 जनवरी, 2023 से जमीन धंसने के कारण जोशीमठ पिछले दो हफ्तों में 5.4 सेमी की तेज गति से धंस गया. सिंह ने आगे कहा कि शहर में सीवेज नहीं है और इसलिए, पूरी जल निकासी जमीन में घुस गई हैं. यह भी पढ़ें : Maharashtra Fire: ठाणे के एक अपार्टमेंट में लगी आग, दम घुटने से दादी-पोती की मौत
2010 में एक और कमेटी बनाई गई जिसने यही इनपुट दिए. तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना पर मंत्री ने कहा कि यह 2009 से काम कर रही है और जोशीमठ से 15 किमी दूर है. उन्होंने बताया कि बीच में कई गांव हैं. वास्तव में, मंत्री ने कहा कि परियोजना के ठीक ऊपर एक गांव है और उस गांव को कुछ भी नहीं हुआ है. यहां तक कि उस 15 किलोमीटर के बीच स्थित अन्य गांवों को भी नहीं हुआ है.