
अगर आप ऐसे शहरों की तलाश में हैं जहां आप आराम से पैदल चल सकें, तो भारत शायद आपकी सूची में सबसे आखिर में आएगा. हाल ही में जारी दुनिया के सबसे वॉकेबल शहरों की ग्लोबल रैंकिंग में किसी भी भारतीय शहर को टॉप 10 में जगह नहीं मिली. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को दुनिया के सबसे कम वॉकेबल शहरों में शामिल किया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के महानगरों में फुटपाथ की खराब स्थिति, जेब्रा क्रॉसिंग की कमी, ओवरक्राउडेड सड़कें और अव्यवस्थित ट्रैफिक इस रैंकिंग में गिरावट के मुख्य कारण हैं.
टॉप 10 वॉकेबल शहर कौन से हैं?
इन शहरों को माना गया है दुनिया के लिए सबसे अच्छे पैदल चलने योग्य शहर (Top 10 Walkable Cities):
- म्यूनिख, जर्मनी
- मिलान, इटली
- वारसॉ, पोलैंड
- हेलसिंकी, फिनलैंड
- पेरिस, फ्रांस
- टोक्यो, जापान
- मैड्रिड, स्पेन
- ओस्लो, नॉर्वे
- कोपेनहेगन, डेनमार्क
- एम्स्टर्डम, नीदरलैंड्स
इन शहरों में पैदल चलने के लिए चौड़े फुटपाथ, ज़ेब्रा क्रॉसिंग, हरियाली, सुरक्षित यातायात और ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं.
और दुनिया के सबसे कम वॉकेबल शहर?
दूसरी ओर, ये हैं वे शहर जहां पैदल चलना एक चुनौती बना हुआ है (Least Walkable Cities):
- जोहान्सबर्ग, साउथ अफ्रीका
- पत्रास, ग्रीस
- डलास, अमेरिका
- ह्यूस्टन, अमेरिका
- मनीला, फिलीपींस
- बैंकॉक, थाईलैंड
- मुंबई, भारत
- केप टाउन, साउथ अफ्रीका
- क्विटो, इक्वाडोर
- शिकागो, अमेरिका
मुंबई का नाम इस सूची में देखना कई लोगों के लिए निराशाजनक है, लेकिन वास्तविकता यही है. भीड़भाड़, अतिक्रमण, टूटी सड़कें और पैदल चलने वालों के लिए ना के बराबर सुविधाएं.
भारत पीछे क्यों?
शहरों का वॉकेबल होना केवल आराम की बात नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण से भी जुड़ा मुद्दा है. यूरोप के कई शहरों ने पिछले कुछ दशकों में पैदल चलने की सुविधा को प्राथमिकता दी है – जिससे न केवल ट्रैफिक घटा है बल्कि लोगों की जीवनशैली भी सुधरी है.
भारत में शहरीकरण तो हो रहा है, लेकिन "वॉकिंग" को प्लानिंग में खास जगह नहीं मिल पाई है. सड़कों पर कारों के लिए जगह है, लेकिन पैदल चलने वालों के लिए नहीं. कई जगह फुटपाथ अतिक्रमण के कारण गायब हो चुके हैं या दुकानों व पार्किंग से घिरे रहते हैं.
क्या भारत में बदलाव मुमकिन है?
शहरी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत को अपने शहरों को रहने लायक बनाना है, तो "पैदल चलने वालों" को विकास के केंद्र में लाना होगा. स्मार्ट सिटी मिशन और अर्बन प्लानिंग में फुटपाथ, साइकल लेन और सार्वजनिक स्थानों को प्राथमिकता देनी होगी. मुंबई जैसे शहर को अपनी छवि सुधारनी होगी. न सिर्फ "फाइनेंशियल कैपिटल" के तौर पर, बल्कि एक ऐसा शहर जहां लोग सुरक्षित, आरामदायक और पर्यावरण के अनुकूल ढंग से चल सकें.