आगरा के अस्पताल में मॉकड्रिल में 22 मरीजों की मौत होने के कोई साक्ष्य नहीं: रिपोर्ट
आगरा के एक निजी अस्पताल द्वारा कथित तौर पर किये गए ‘मॉकड्रिल’ की जांच कर रहे डॉक्टरों के एक दल ने अस्पताल को यह कहते हुए क्लीन चिट दी है कि उन्हें ऐसे किसी अभ्यास का कोई सबूत नहीं मिला जिस दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद की गई और 22 मरीजों की कथित तौर पर मौत हो गई.
आगरा, 20 जून : आगरा (Agra) के एक निजी अस्पताल द्वारा कथित तौर पर किये गए ‘मॉकड्रिल’ (Mockdrill) की जांच कर रहे डॉक्टरों के एक दल ने अस्पताल को यह कहते हुए क्लीन चिट दी है कि उन्हें ऐसे किसी अभ्यास का कोई सबूत नहीं मिला जिस दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद की गई और 22 मरीजों की कथित तौर पर मौत हो गई. आगरा प्रशासन ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप सामने आने के बाद जांच का आदेश दिया था जिसमें शहर के श्रीपारस अस्पताल के मालिक को कथित तौर पर यह कहते सुना गया था कि उन्होंने एक ‘‘मॉकड्रिल’’ की थी जिसमें कोविड-19 (COVID-19) मरीजों की ऑक्सीजन की आपूर्ति पांच मिनट के लिए काट दी गई थी. वीडियो में अस्पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन को कथित तौर पर यह भी कहते सुना गया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने के बाद 22 मरीजों के शरीर नीले पड़ने लगे थे.
डॉक्टरों की समिति द्वारा जिला प्राधिकारियों को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे किसी ‘मॉकड्रिल’ का कोई सबूत नहीं है, जिस दौरान पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद रही जिसके कारण अस्पताल में 22 मरीजों की कथित तौर पर मौत हो गई. हालांकि, समिति ने उल्लेख किया कि अन्य बीमारियों और अन्य वजहों के कारण 26-27 अप्रैल के दौरान अस्पताल में 16 रोगियों की मृत्यु हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘26 और 27 अप्रैल के दौरान जान गंवाने वाले 16 मरीजों में से 14 को अन्य बीमारियां थीं, जबकि दो को अन्य समस्याएं थीं.’’ वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद, अस्पताल को सील कर दिया गया था और मालिक के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. जांच करने के लिए दो समिति बनायी गई थी- एक चार सदस्यीय ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ और दूसरी दो सदस्यीय मजिस्ट्रेट समिति. शुक्रवार रात को जिलाधिकारी पी एन सिंह ने दोनों कमेटियों द्वारा जमा की गई रिपोर्ट के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की.
अस्पताल को क्लीन चिट देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल ने रोगियों के ‘हाइपोक्सिया’ और ‘ऑक्सीजन संतृप्तता’ स्तर के लक्षणों की निगरानी की ताकि इलाज सीमित ऑक्सीजन उपलब्धता के साथ किया जा सके. इसमें कहा गया है कि प्रत्येक मरीज का विश्लेषण किया गया और यह पाया गया कि 22 मरीज गंभीर स्थिति में थे. जांच समिति ने यह भी उल्लेख किया कि अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर थे. अस्पताल 25 अप्रैल को 149 ऑक्सीजन सिलेंडरों का इस्तेमाल कर रहा था और 20 सिलेंडर आरक्षित रखे गए थे तथा 26 अप्रैल को 121 ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा था एवं 15 सिलेंडर आरक्षित रखे गए थे. समिति ने यह भी कहा कि मरीजों के तीमारदारों ने भी खुद से ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था की थी.