
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के दौरान जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टरों पर हो रहे हमले को देखते हुए उनकी सुरक्षा को लेकर मोदी सरकर की तरफ से आज एक कैबिनेट बैठक बुलाई गई थी. जिस बैठक में स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षा को लेकर एक अध्यादेश लाया गया. ताकि आने वाले दिनों में स्वास्थ से जुड़े लोगों पर होने वाला हमला रोका जा सके. इस अध्यादेश के बाद पीएम मोदी (PM Modi) ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि कोरोना वायरस से लड़ने वाले हमारे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं, नए अध्यादेश हमारे पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
मोदी सरकार द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षा के लिए लाये जा रहे अध्यादेश में सजा को लेकर कई प्रावधान है. जैसे यदि कोई मेडिकल टीम पर हमला करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए 3 महीने से 5 साल की सजा हो होगी ही. इसके साथ ही पांच लाख से दो लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं यदि किसी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों को गंभीर चोट आती है तो इस अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ 6 महीने से 7 साल की सजा का प्रावधान और जुर्माना एक लाख से 5 लाख रुपए तक लगाया जाएगा. यह भी पढ़े: कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार का बड़ा फैसला, मेडिकल टीम पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं, जाना पड़ेगा जेल
पीएम मोदी का ट्वीट:
The Epidemic Diseases (Amendment) Ordinance, 2020 manifests our commitment to protect each and every healthcare worker who is bravely battling COVID-19 on the frontline.
It will ensure safety of our professionals. There can be no compromise on their safety!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 22, 2020
वहीं मेडिकल टीम के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान पहुंचाया तो इसके जो लिए भी कानून बनाया गया है. अपराधियों द्वारा नुकसानपहुंचाई गई संपत्ति का बाजार मूल्य से दोगुना दाम मुआवजे के रूप में वसूला जाएगा.
दरअसल दो दिन पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नाराजगी जाहिर की है. उनकी तरफ से चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार जल्द से जल्द ऐसी घटनाओं को रोकने को लेकर कानून नही बनाती है तो आईएमए 23 अप्रैल को काला दिवस यानि की ब्लैक डे घोषित करने पर वे मजबूर हो जाएंगे. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार यानि आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टरों और विशेष रूप से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ बातचीत कर उन्हें मेडिकल कर्मियों की सुरक्षा का आश्वासन दिया, जिसके बाद आईएमए ने 22 और 23 अप्रैल को प्रस्तावित अपने विरोध प्रदर्शन को वापस ले लिया. (इनपुट आईएएनएस)