चेन्नई: इंडियन बैंक्स एसोसिएशन(Indian Bank Association) (IBA) द्वारा वेतन(Wages) संशोधन 6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने की पेशकश के एक दिन बाद युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन(United Form Bank Of Union) (UFBU) ने बैंकों के विलय और वेतन संशोधन की मांग को लेकर 26 दिसंबर को हड़ताल का ऐलान किया है. यूएफबीयू बैंकिंग क्षेत्र की नौ यूनियनों की कंसोर्टियम(Consortium) है और यह बैंक ऑफ बड़ौदा(Bank of Baroda), देना बैंक(Dena Bank) और विजया बैंक(Vijya Bank) के विलय का विरोध कर रही है. ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशंस(All India Bank Employees Association) (AIBEA) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स(National Organisation Of Bank Workers) (एनओबीडब्ल्यू) ने शनिवार को यह जानकारी दी. एआईबीईए और एनओबीडब्ल्यू, यूएफबीयू के घटकों में से एक है.
एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी लोहानी(Ashvini Lohani) ने आईएएनएस को बताया, "विलय कोई समाधान नहीं है. यह (बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक का विलय) सरकार का एकपक्षीय निर्णय था. अन्य हितधारकों जैसे शेयरधारकों और कर्मचारियों के विचारों को भी ध्यान में रखना चाहिए." राना ने कहा कि सरकार संकीर्ण सोच की है क्योंकि वह विलय के माध्यम से एनपीए (फंसे हुए कर्जो) की समस्या को सुलझा नहीं सकती. वह केवल सरकारी बैंकों को नष्ट करना चाहती है, जोकि कुछ बचे-खुचे क्षेत्रों में से एक हैं, जो सरकारी नौकरियां प्रदान करती है.
वेतन के मुद्दे पर, यूनियंस स्केल 1 से स्केल 7 के अंतर्गत आनेवाले सभी बैंक कर्मचारियों के लिए 25 फीसदी वेतन वृद्धि की मांग कर रही है, जबकि आईबीए केवल जूनियर स्केल 1 से स्केल 3 तक के लिए इस मांग को स्वीकार कर रही है और परिवर्तनीय वेतन लागू करने का प्रस्ताव दे रही है, जिसे यूनियंस ने अस्वीकार कर दिया है. राना ने कहा, "8 फीसदी के पेशकश हमारी उम्मीदों से काफी कम है. हमें साल 2015 में हुए द्विपक्षीय निपटान में 15 फीसदी की वेतन वृद्धि मिली थी, जो 2012 से ही देय है और यह समझौता 30 अक्टूबर 2017 को समाप्त हो गया.
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11वें निपटान के तहत वेतन संशोधन 1 नवंबर 2017 से ही लंबित है और हमारी मांग 25 फीसदी वेतन वृद्धि की है." सरकारी बैंकों में हर पांच साल पर वेतन संशोधन होता है, लेकिन उनके लिए वेतन वृद्धि की मांग मानना मुश्किल हैं, भारी मात्रा में फंसे हुए बड़े कर्जो और घाटा के कारण इस क्षेत्र को नुकसान हुआ है.